सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।– अब्दुल कलाम
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Saturday, May 1, 2021

1 मई: मजदूर दिवस के अलावा और क्या खास


 एक मई का दिन इतिहास में मजदूर दिवस के तौर पर दर्ज है। दुनिया में मजदूर दिवस मनाने का चलन करीब 132 साल पुराना है। मजदूरों ने काम के घंटे तय करने की मांग को लेकर 1877 में आंदोलन शुरू किया, इस दौरान यह दुनिया के विभिन्न देशों में फैलने लगा। एक मई 1886 को पूरे अमेरिका के लाखों मज़दूरों ने एक साथ हड़ताल शुरू की। इसमें 11,000 फ़ैक्टरियों के कम से कम तीन लाख अस्सी हज़ार मज़दूर शामिल हुए और वहीं से एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई। देश दुनिया के इतिहास में एक मई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है...

1886: अमेरिका के शिकागो में कामगारों के लिए काम के घंटे तय करने को लेकर हड़ताल, मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत।

1897: स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

1908: प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर बम कांड को अंजाम देने के बाद खुद को गोली मारी।

1914: कार निर्माता फोर्ड वह पहली कंपनी बनी जिसने अपने कर्मचारियों के लिए आठ घंटे काम करने का नियम लागू किया।

1923: भारत में मई दिवस मनाने की शुरुआत।

1956: जोनसा साल्क द्वारा विकसित पोलियो वैक्सीन जनता के लिए उपलब्ध कराई गई। ॉ

1960: महाराष्ट्र और गुजरात अलग अलग राज्य बने।

1972: देश की कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण।

2009: स्वीडन ने समलैंगिक विवाह को मंजूरी दी।

2011: अमेरिका पर 2001 के हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान के ऐबटाबाद में मारे जाने की पुष्टि।

Wednesday, April 14, 2021

Ambedker Jayanti

भीमराव रामजी आम्बेडकर[a] (14 अप्रैल1891 – 6 दिसंबर1956), डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञविधिवेत्ताअर्थशास्त्रीराजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।[1] उन्होंने दलित बौद्ध आन्दोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था।[2] वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्रीभारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।


Tuesday, March 23, 2021

शहीदी दिवस 23 मार्च


 शहीद दिवस 2021: जानें 23 मार्च को ही क्यों मनाते हैं शहीद दिवस

भगत सिंह केवल 23 साल के थे जब उन्हें फांसी दी गई थी लेकिन उनके क्रांतिकारी विचार बहुत व्यापक थे. आजादी की लड़ाई से लेकर आजतक हर रैली, आंदोलन और प्रदर्शनों में बोले जाने वाला नारा इंकलाब जिंदाबाद पहली बार भगत सिंह ने ही बोला था.

भारत में शहीद दिवस (Martyrs' Day) 23 मार्च को मनाया जाता है. अंग्रेज़ हुकूमत ने 23 मार्च 1931 की मध्यरात्रि को भारत के तीन सपूतों- भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी पर लटका दिया था. इस बलिदान को याद करने के लिए इस दिन को (23 मार्च) देश भर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.

भगत सिंह केवल 23 साल के थे जब उन्हें फांसी दी गई थी लेकिन उनके क्रांतिकारी विचार बहुत व्यापक थे. आजादी की लड़ाई से लेकर आजतक हर रैली, आंदोलन और प्रदर्शनों में बोले जाने वाला नारा इंकलाब जिंदाबाद पहली बार भगत सिंह ने ही बोला था.

भगत सिंह मानते थे कि व्यक्ति को दबाकर उसके विचार नहीं दबाए जा सकते हैं. तीनों क्रांतिकारियों की इस शहादत को आज पूरा देश याद कर रहा है. ये तीनों ही भारत के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं. शहीद दिवस के अवसर पर स्कूल-कॉलेज और दफ्तरों में वाद-विवाद, भाषण, कविता-पाठ और निबंध प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन होता है.

शहीद दिवस 23 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है?

अंग्रेजी हुकूमत ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च को ही फांसी पर लटका दिया गया था. ये तीनों ही भारत के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं. भारत के इन नवयुवकों ने महात्मा गांधी से अलग रास्ता अपनाया था लेकिन यह देश के कल्याण के लिए था. इतनी कम उम्र में इस बहादुरी के साथ देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले इन वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देने हेतु ही 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है।

शहीद दिवस कैसे मनाया जाता है?

पूरा देश इस मौके पर शहीदों की कुर्बानी को याद करता है और उन्हें नमन करता है. देश के गणमान्य लोग एक साथ इकट्ठा होकर शहीदों की प्रतिमाओं पर फूल चढ़ाते हैं. वहीं, देश के सशस्त्र बल के जवान शहीदों को याद में सलामी देते हैं. इसके अतिरिक्त, स्कूल-कॉलेज में भी इस उपलक्ष्य में वाद-विवाद, भाषण, कविता-पाठ एवं निबंध प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन होता है.।

इस दिन का महत्व

शहीद दिवस को मनाकर हम न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं बल्कि आज की पीढ़ी को उन शहीदों के जीवन और बलिदानों से परिचित भी कराते हैं. भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया, वह युवकों के लिए हमेशा ही एक बहुत बड़ा आदर्श बना रहेगा.

Sunday, March 21, 2021

विश्व गौरैया दिवस 20 मार्च


 ✅ विश्व गौरैया दिवस : 𝚆𝙾𝚁𝙻𝙳 𝚂𝙿𝙰𝚁𝚁𝙾𝚆 𝙳𝙰𝚈 🐦

आज विश्व गौरैया दिवस है। यह हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। गौरैया के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए साल 2010 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी। पिछले कुछ समय से गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है।

विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के कई देशों में गौरैया पाई जाती है। यह दिवस लोगों में गौरेया के प्रति जागरुकता बढ़ाने और उसके संरक्षण के लिए मनाया जाता है। बढ़ते प्रदूषण सहित कई कारणों से गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है और इनके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

📌 जानिये भारत में गौरेया की क्या है स्थिति :

प्रत्येक वर्ष 20 मार्च 2020 को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। इस पक्षी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके संरक्षण के लिए विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। गौरैया भारत में पाया जाने वाला एक सामान्य पक्षी है लेकिन इसे शहरी क्षेत्रों में विलुप्त होने के कगार पर पहुँचा दिया गया है।

 "द नेचर फॉर सोसाइटी ऑफ इंडियन एनवायरनमेंट" के संयोजक मोहम्मद दिलावर ने गौरेया की जनसंख्या में तेजी से गिरावट को देखते हुए यह पहल शुरू की। पहला विश्व गौरैया दिवस 2010 में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मनाया गया था।

रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, मनुष्यों और गौरैया के बीच 11,000 साल पुराना संबंध है। अध्ययन में कहा गया है कि तीन अलग-अलग प्रजातियों - कुत्तों, घरेलू गौरैया और मनुष्यों में कृषि के माध्यम से समान अनुकूलन शुरू हुआ था।

⌛️ विश्व गौरैया दिवस का इतिहास :

विश्व गौरैया दिवस, नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया के साथ-साथ फ्रांस की इकोसेज एक्शन फाउंडेशन की शुरू की गई एक पहल है। सोसाइटी की शुरुआत फेमस पर्यावरणविद् मोहम्मद दिलावर ने की थी। उन्हें 2008 में टाइम मैगजीन ने "हीरोज ऑफ एनवायरमेंट" में शामिल किया गया था। साल 2010 में पहली बार 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया गया। इसके बाद हर साल 20 मार्च को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस पर गौरैया के संरक्षण के लिए काम करने वाले लोगों को गौरैया पुरस्कार से सम्मानित भी किया जाता है।

▪️ गौरैया से जुडे कुछ रोचक तथ्य :

गौरैया का वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिकस और सामान्य नाम हाउस स्पैरो है। इसकी ऊंचाई 16 सेंटीमीटर और विंगस्पैन 21 सेंटीमीटर होते हैं। गौरैया का वजन 25 से 40 ग्राम होता है। गौरैया अनाज और कीड़े खाकर जीवनयापन करती है। शहरों की तुलना में गांवों में रहना इसे ज्यादा पसंद है।

▪️ कम हो रही है गौरैया की संख्या :

गौरैया की संख्या लगातार कम होती जा रही है. एस स्टडी के अनुसार इसकी संख्या में 60 फीसदी तक कमी आई है। विश्व गौरैया दिवस मनाने का एक उद्देशय यह भी है कि हमारे युवा और प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों को गौरैया से प्रेम करने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

▪️ भारत में गौरैया की स्थिति :

रॉयल सोसाइटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले 40 वर्षों में अन्य पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन भारत में गौरैया की संख्या में 60% की कमी आई है। दुनिया भर में गौरैया की 26 प्रजातियां हैं, जबकि उनमें से 5 भारत में पाई जाती हैं।वर्ष 2015 की पक्षी जनगणना के अनुसार, लखनऊ में केवल 5692 और पंजाब के कुछ क्षेत्रों में लगभग 775 गौरैया थीं। वर्ष 2017 में, तिरुवनंतपुरम में केवल 29 गौरैया की पहचान की गई थी।

 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि आंध्र प्रदेश में इसकी संख्या में 80% की कमी आई है। केरल, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में 20% तक की गिरावट देखी गई है।

 ▪️ पृष्ठभूमि :

विश्व गौरैया दिवस पहली बार 2010 में नेचर फॉरएवर सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद दिलावर के प्रयासों से मनाया गया था। तब से, यह दिवस प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य गौरैया के संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता लाना है।

▪ गौरैया का महत्व :

 पर्यावरण संतुलन में गौरैया महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गौरैया अपने बच्चों को अल्फ़ा और कैटवॉर्म नामक कीड़े खिलाती है। ये कीड़े फसलों के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। वे फसलों की पत्तियों को मारकर नष्ट कर देते हैं। इसके अलावा, गौरैया मानसून के मौसम में दिखाई देने वाले कीड़े भी खाती है।

Sunday, February 28, 2021

National Science Day

 


February 28 is observed as National Science Day to mark the anniversary of India’s greatest discovery- ‘Raman effect’ and to recognise the contributions of scientists towards the development of the nation. On this day in 1928, India’s prominent scientist CV Raman invented the ‘Raman Effect,’ for which he won the Nobel prize in 1930. Today, the government of India felicitates scientists whose contribution played an eminent role in the field of science and innovation.

Saturday, January 23, 2021

Prakram Diwas (Subhash Chandra Bose Jayanti )

 

जन्म23 जनवरी 1897
कटकबंगाल प्रेसीडेंसी का ओड़िसा डिवीजनब्रिटिश भारत
राष्ट्रीयताभारतीय
शिक्षाबी०ए० (आनर्स)
शिक्षा प्राप्त कीकलकत्ता विश्वविद्यालय
पदवीअध्यक्ष (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)(1938)
सुप्रीम कमाण्डर आज़ाद हिन्द फ़ौज
प्रसिद्धि कारणभारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी तथा सबसे बड़े नेता
राजनैतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1921–1940,
फॉरवर्ड ब्लॉक 1939–1940
जीवनसाथीएमिली शेंकल
(1937 में विवाह किन्तु जनता को 1993 में पता चला)
बच्चेअनिता बोस फाफ
संबंधीशरतचन्द्र बोस भाई
शिशिर कुमार बोस भतीजा

Friday, January 15, 2021

भारतीय सेना दिवस

 15 जनवरी

 73वां भारतीय सेना दिवस :

भारतीय सेना का आदर्श वाक्य "स्वयं से पहले सेवा" है।

• प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी बतौर सेना दिवस (Army Day)  तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल के.एम. करियप्पा (भारतीय सेना के प्रथम भारतीय कमांडर इन चीफ और बाद में पहले फील्ड मार्शल) जिन्होंने इसी दिन भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर  (General Sir Francis Butcher)  की जगह ली थी, के सम्मान में मनाया जाता है। 

• तत्कालीन भारतीय सेना में उस समय लगभग 2 लाख सैनिक थे जब करियप्पा ने वर्ष 1947 में भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में भारतीय सेना की कमान संभाली थी। 

• भारतीय सेना का गठन वर्ष 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में हुआ था।

सेना दिवस मनाना :

• यह दिन थल सेना की वीरता, अदम्य साहस, शौर्य और उसकी कुर्बानी की याद करता है। 

• राजधानी दिल्ली में सेना कमान मुख्यालय के साथ देश के अन्य हिस्सों में सैन्य परेड और शक्ति प्रदर्शन के अन्य कार्यक्रमों का आयोजन के रूप में इस दिन को मनाया जाता है। 

• इस मौके पर सेना के कई दस्ते और रेजिमेंट मुख्य रूप से दिल्ली छावनी स्थित करियप्पा परेड मैदान में हिस्सा लेते हैं तथा विभिन्न झांकियां निकालने के साथ ही इस अवसर पर लड़ाकू प्रदर्शन भी परेड का हिस्सा होते हैं। 

• यह दिन थल सेना की वीरता, अदम्य साहस, शौर्य और उसकी कुर्बानी की याद करता है। 

• परमवीर चक्र और अशोक चक्र पुरस्कार विजेताओं की उपस्थिति में इस दिन वीरता पुरस्कार और सेना पदक प्रदान किए जाते हैं। 

• पिछले सेना दिवस वर्ष 2020 में कैप्टन तानिया शेरगिल आर्मी डे परेड की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं थी।

Tuesday, January 12, 2021

National Youth Day 2021


 The world celebrates the great monk Swami Vivekananda’s birth anniversary on January 12 who worked for the betterment of society. Born on January 12, 1863, in Kolkata, swami was a chief disciple of Sri Ramakrishna Paramhansa and played a very important in the revival of Hinduism in India. Swami Vivekananda’s original name was Narendranath Datta.

It was way back in 1984 that the government of India declared January 12 as National Youth Day to commemorate the birthday of Swami Vivekananda, who was a social reformer, philosopher, and great thinker. And since then, the day is celebrated with great enthusiasm. Schools and colleges across the country celebrate National Youth Day with speeches, music, seminars, presentations, and competitions.

Wednesday, December 2, 2020

*आज का प्रेरक प्रसंग*

एक छोटा सा बच्चा अपने दोनों हाथों में एक एक सेब (apple) लेकर खड़ा था।

उसके पापा ने मुस्कराते हुए कहा कि“बेटा एक एप्पल मुझे दे दो।”

इतना सुनते ही उस बच्चे ने एक सेब को दांतों से कुतर लिया।

उसके पापा कुछ बोल पाते उसके पहले ही उसने अपने दूसरे सेब को भी दांतों से कुतर लिया।

अपने छोटे से बेटे की इस हरकत को देखकर बाप ठगा सा रह गया और उसके चेहरे पर मुस्कान गायब हो गई थी…

तभी उसके बेटे ने अपने नन्हें हाथ आगे की ओर बढ़ाते हुए पापा को कहा… पापा ये लो... ये वाला ज्यादा मीठा है।

*शिक्षा:-* शायद हम कभी कभी पूरी बात जाने बिना निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं।

Tuesday, November 24, 2020

*आज का प्रेरक प्रसंग*

 एक अमीर सेठ के यहाँ एक नौकर काम करता था, अमीर सेठ अपने नौकर से तो बहुत खुश था, लेकिन जब भी कोई कटु अनुभव होता तो वह भगवान को अनाप शनाप कहता और बहुत कोसता था।एक दिन वह अमीर सेठ ककड़ी खा रहा था, संयोग से वह ककड़ी कच्ची और कड़वी थी। सेठ ने वह ककड़ी अपने नौकर को दे दी। नौकर ने उसे बड़े चाव से खाया जैसे वह बहुत स्वादिष्ट हो।अमीर सेठ ने पूछा: ककड़ी तो बहुत कड़वी थी, भला तुम ऐसे कैसे खा गये?नौकर बोला: आप मेरे मालिक हैं, रोज ही स्वादिष्ट भोजन देते हैं, अगर एक दिन कुछ बेस्वाद या कड़वा भी दे दिया तो उसे स्वीकार करने में भला क्या हर्ज है ?

अमीर सेठ अपनी भूल समझ गया, अगर ईश्वर ने इतनी सुख-सम्पदाएँ दी हैं और कभी कोई कटु अनुदान या सामान्य मुसीबत दे भी दें तो उसकी सद्भावना पर संदेह करना ठीक नहीं।

असल में यदि हम समझ सकें तो जीवन में जो कुछ भी होता है, सब ईश्वर की दया ही है। ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए ही करता है।

Saturday, November 14, 2020

बाल दिवस


 बाल दिवस 14 नवंबर को पूरे देश में हर साल की तरह बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाएगा। पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में इलाहाबाद में हुआ था। हर साल उनके जन्मदिन को बाल दिवस (Children's Day) के रूप में मनाया जाता है। जवाहर लाल नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था। यही वजह है कि बच्‍चे आज भी उन्‍हें चाचा नेहरू कहकर बुलाते हैं। 

Wednesday, November 11, 2020

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस


 यह दिवस भारत सरकार भारत के पहले शिक्षा मंत्री एवं भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की याद में हर 11 नवंबर को मनाया जाता है। वैधानिक रूप से इसका प्रारम्भ 11 नवम्बर 2008 से किया गया है। मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवम्बर 1888 को हुआ था। वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे।

Friday, October 30, 2020

सरदार वल्लभ भाई पटेल


 

पद बहाल
15 अगस्त 1947 – 15 दिसम्बर 1950
प्रधानमंत्रीजवाहरलाल नेहरु
पूर्वा धिकारीपद सृजन
उत्तरा धिकारीमोरारजी देसाई

पद बहाल
15 अगस्त 1947 – 15 दिसम्बर 1950
प्रधानमंत्रीजवाहरलाल नेहरु
पूर्वा धिकारीपद सृजन
उत्तरा धिकारीचक्रवर्ती राजगोपालाचारी

जन्म31 अक्टूबर 1875
नडियादबंबई प्रेसीडेंसीब्रिटिश भारत
मृत्यु15 दिसम्बर 1950 (उम्र 75)
बॉम्बेबॉम्बे राज्यभारत
राष्ट्रीयताभारतीय
राजनीतिक दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
बच्चेमणिबेन पटेलदह्याभाई पटेल
शैक्षिक सम्बद्धतामिडल टेम्पल
पेशावकालत, राजनीति

सतर्कता जागरूक सप्ताह

 

सतर्कता जागरूकता सप्ताह के महत्वपूर्ण बिंदु :
:white_check_mark:क्यों मनाया जाता है ?
:arrow_right:प्रत्येक वर्ष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्म दिवस 31 अक्टूबर को ध्यान में रखकर सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
:arrow_right:इस साल 2020 में, सतर्कता जागरूकता सप्ताह 27 अक्टूबर से 2 नवंबर, 2020 तक “सतर्क भारत, समृद्ध भारत - Satark Bharat, Samriddh Bharat (Vigilant India, Prosperous India)” विषय के साथ मनाया जा रहा है।
:arrow_right:वेबसाइट पर अर्थगर्भित विषयों को डालने तथा प्रस्तावित विषय पर मुख्य सतर्कता अधिकारियों की राय प्राप्त करने के बाद इस वर्ष इस विषय को चुना गया है।
:arrow_right:केन्द्रीय सतर्कता आयोग 27 अक्टूबर से 2 नवंबर, 2020 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह का अनुपालन कर रहा है।
:arrow_right:नागरिक भागीदारी के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी तथा सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने के लिए, यह जागरूकता सप्ताह हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है ।
:arrow_right:आयोग का मानना है कि राष्ट्र की प्रगति में भ्रष्टाचार एक मुख्य बाधा है । समाज के सभी वर्गों को हमारे राष्ट्रीय जीवन में ईमानदारी बनाए रखने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है।

Monday, October 26, 2020

*आज का प्रेरक प्रसंग*

!! असली शिक्षा !!*

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एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाईल से बातें करते हुए महिला ने अपनी बच्ची से कहा, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैंसे दी, बच्ची कार से उतरतें ही- अरें बुढिया ! यें सब्जी कैंसे दी?

40 रूपयें किलो, बेबी जी...

सब्जी लेते ही उस बच्ची ने सौ रूपयें का नोट उस सब्जी वाली को फेंक कर दिया और आकर कार पर बैठ गयी, कार जाने लगी तभी अचानक किसी ने कार के सीसे पर दस्तक दी, एक छोटी सी बच्ची जो हाथ में 60 रूपयें कार में बैठी उस औरत को देते हुए, बोलती हैं आंटी जी यें आपके सब्जी के बचें 60 रूपयें हैं, आपकी बेटी भूल आयी हैं। कार में बैठी औरत ने कहा तुम रख लों, उस बच्ची ने बड़ी ही मिठी और सभ्यता से कहा- नहीं आंटी जी हमारें जितने पैंसे बनते थें हमने ले लियें, हम इसे नहीं रख सकतें, मैं आपकी आभारी हूं, आप हमारी दुकान पर आए और आशा करती हूं कि सब्जी आपको अच्छी लगें, जिससे आप हमारें ही दुकान पर हमेशा आए। उस लड़की ने हाथ जोड़े और अपनी दुकान लौट गयी...

कार में बैठी महिला उस लड़की से बहुत प्रभावित हुई और कार से उतर कर फिर सब्जी की दुकान पर जाने लगी, जैसें ही वहाँ पास गयी, सब्जी वाली अपनी बच्ची को पूछते हुयें, तुमने तमीज से बात की ना, कोई शिकायत का मौका तो नहीं दिया ना..?

बच्ची ने कहा, हाँ माँ मुझे आपकी सिखाई हर बात याद है, कभी किसी बड़े का अपमान मत करो, उनसे सभ्यता से बात करो, उनकी कद्र करो, क्यूंकि बड़े-बुजर्ग बड़े ही होते हैं, मुझे आपकी सारी बात याद है और मैं सदैव इन बातों का स्मरण रखूंगी। बच्ची ने फिर कहा, अच्छा माँ अब मैं स्कूल चलती हूं, शाम में स्कूल से छुट्टी होते ही, दुकान पर आ जाऊंगी...

कार वाली महिला शर्म से पानी पानी थी, क्यूंकि एक सब्जी वाली अपनी बेटी को इंसानियत और बड़ों से बात करने के शिष्टाचार का पाठ सीखा रही थी और वह महिला अपनी बेटी को छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच का मन में बीज बो रही थी..!!

शिक्षा:-

सबसे अच्छा तो वो कहलाता है जो आसमान पर भी रहता है और जमींन से भी जुड़ा रहता है। बस इंसानियत, भाईचारें, सभ्यता, आचरण, वाणी में मिठास, सब की इज्जत करने की सीख दीजिए अपने बच्चों को, क्यूंकि अब बस यहीं पढ़ाई है जो आने वाले समय में बहुत ही ज्यादा मुश्किल होगी इसे पढ़ने, इसे याद रखने, इसे ग्रहण करने में और जीवन को उपयोगी बनानें में !!

*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।

Sunday, October 25, 2020

*आज का प्रेरक प्रसंग*

*स्कूल टीचर ने बोर्ड पर लिखा:*

9×1=9

9×2=18

9×3=27

9×4=36

9×5=45

9×6=54

9×7=63

9×8=72

9×9=81

9×10=89

*लिखने के बाद बच्चों को देखा तो बच्चे शिक्षक पर हंस रहे थे, क्योंकि आखिरी लाइन गलत थी।*

*फिर शिक्षक ने कहा:*

*"मैंने आखिरी लाइन किसी उद्देश्य से गलत लिखी है क्यूंकि मैं तुम सभी को कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण सिखाना चाहता हूं।*

*दुनिया तुम्हारे साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी..!*

*तुम देख सकते हो कि मैंने ऊपर 9 बार सही लिखा है पर किसी ने भी मेरी तारीफ नहीं की..??*

*पर मेरी सिर्फ एक ही गलती पर तुम लोग हंसे और मुझे क्रिटिसाइज भी किया।"*

*तो यही नसीहत है :*

*कि दुनिया कभी आपके लाख अच्छे कार्यों को एप्रीशिएट (appreciate) करे या न करे , परन्तु आपके द्वारा की गई एक गलती को क्रिटिसाइज (criticize) जरूर करेगी।*

*ये एक कटु सत्य है*

*स्वस्थ एवं सुरक्षित रहें।*



        

Monday, October 5, 2020

*आज का प्रेरक प्रसंग*

   *!! महिला के शुभ कदम !!*

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एक आदमी ने दुकानदार से पूछा: केले और सेव फल क्या भाव लगाऐ है? दुकानदार: केले 20 रु. दर्जन और सेव 100 रु. किलो

उसी समय एक गरीब सी औरत दुकान में आयी और बोली मुझे एक किलो सेव और एक दर्जन केले चाहिए, क्या भाव है? भैया दुकानदार: केले 5 रु दर्जन और सेब 25 रु किलो। औरत ने कहा: जल्दी से दे दीजिए। दुकान में पहले से मौजूद ग्राहक ने खा जाने वाली निगाहों से घूरकर दुकानदार को देखा, इससे पहले कि वो कुछ कहता, दुकानदार ने ग्राहक को इशारा करते हुए थोड़ा सा इंतजार करने को कहा। औरत खुशी-खुशी खरीदारी करके दुकान से निकलते हुए बड़बड़ाई हे भगवान! तेरा लाख-लाख शुक्र है, मेरे बच्चे फलों को खाकर बहुत खुश होंगे।

औरत के जाने के बाद, दुकानदार ने पहले से मौजूद ग्राहक की तरफ देखते हुए कहा: ईश्वर गवाह है, भाई साहब मैंने आपको कोई धोखा देने की कोशिश नहीं की। यह विधवा महिला है, जो चार अनाथ बच्चों की मां है। किसी से भी किसी तरह की मदद लेने को तैयार नहीं है। मैंने कई बार कोशिश की है और हर बार नाकामी मिली है। तब मुझे यही तरकीब सूझी है कि जब कभी ये आए तो, मैं उसे कम से कम दाम लगाकर चीज़े दे दूँ। मैं यह चाहता हूँ कि उसका भ्रम बना रहे और उसे लगे कि वह किसी की मोहताज नहीं है।

मैं इस तरह भगवान के बन्दों की पूजा कर लेता हूँ। थोड़ा रूक कर दुकानदार बोला: यह औरत हफ्ते में एक बार आती है। भगवान गवाह है, जिस दिन यह आ जाती है उस दिन मेरी बिक्री बढ़ जाती है और उस दिन परमात्मा मुझ पर मेहरबान हो जाता है।

ग्राहक की आंखों में आंसू आ गए, उसने आगे बढ़कर दुकानदार को गले लगा लिया और बिना किसी शिकायत के अपना सौदा खरीदकर खुशी-खुशी चला गया। खुशी अगर बांटना चाहो तो तरीका भी मिल जाता है।

*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

Sunday, September 20, 2020

*आज का प्रेरक प्रसंग*

 *!! क्रोध पर विजय !!*

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बहुत प्राचीन बात है। किसी गाँव में एक बुर्जुग महात्मा रहते थे। दूर-दूर से लोग शिक्षा गृहण करने के उद्देश्य से अपने बच्चों को उनके आश्रम में भेजते थे। एक दिन महात्मा जी के पास कमल नाम का एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति आया।
‘गुरु जी मुझे अपने श्रीचरणों में जगह दे दीजिए। अब मेरी कोई कामना बाकी नहीं रही है। मैं आश्रम में रहकर आपके आज्ञानुसार समाज को अभी तक प्राप्त किया हुआ ज्ञान वितरित करना चाहता हूँ।‘ पारखी वृद्ध महात्मा ने एकदम समझ लिया कि यह व्यक्ति काबिल है, इसकी कामना सच्ची है और यह समाज के प्रति अपने दायित्व को निभाने के लिए कृतसंकल्पित है।
कमल उनके चरणों में गिरकर प्रार्थना किये जा रहा था- गुरु जी! मुझे अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
महात्मा जी ने कहा-‘पुत्र! आश्रम की परम्परा है कि तुम स्नान करके पवित्र हो और भगवान के आगे संकल्प धारण करो कि अपना कृतव्य सही तरीके से निभाओगे। अतः इस कार्य के लिए तुम कल प्रातः स्नान करके आश्रम आ जाना।’
उसके जाते ही वृद्ध महात्मा जी ने साफ-सफाई का कार्य करने वाली महिला को अपने पास बुलाया और कहा ‘कल सुबह यह नया शिक्षक आयेगा। जैसे ही यह आश्रम के नजदीक आये, तुम इस प्रकार से झाड़ू लगाना कि उसके चेहरे पर धूल गिर जाए। लेकिन यह कार्य थोड़ा सावधानी से करना। वह तुम पर हाथ भी छोड़ सकता है। महिला महात्मा जी की बहुत सम्मान करती थी। उसने उनकी आज्ञा को सहर्ष स्वीकार कर लिया।
अति प्रसन्न मुद्रा में कमल नहा-धोकर इठलाता हुआ आश्रम आने लगा। जैसे ही वह नजदीक पहुँचा, महिला ने तेजी से झाड़ू लगाना शुरू कर दिया। कमल के पूरे चेहरे में धूल चली गई। उसके क्रोध की सीमा न रही। पास पड़े पत्थर को उठाकर वह महिला को मारने के लिए दौड़ा। महिला पहले ही सावधान थी। वह झाड़ू फैंक-फांक के वहाँ से भाग खड़ी हुई। अधेड़ के मुख में जो आया बकता चला गया।
कमल वापिस घर गया और दुबारा स्नान करके महात्मा के पास लौटा।
महात्मा जी ने कहा- ‘अभी तो तुम जानवरों के समान लडने के लिए दौड़ते-चिल्लाते हो। तुमसे अभी यहाँ शिक्षण कार्य नहीं होगा। तुम एक वर्ष के बाद आना तब तक जो कार्य करते हो वही करते रहो।’
कमल की इच्छा सच्ची थी। उसकी महात्मा में श्रद्धा भी सच्ची थी। वर्ष पूरा होते ही वह फिर महात्मा जी के समीप उपस्थित हुआ।
महात्मा जी ने आदेश दिया- ‘पुत्र तुम कल स्नान करके प्रातः आना।’
कमल के जाते ही महात्मा जी ने सफाई कर्मचारी को बुला कर कहा- ‘वह फिर आ रहा है। इस बार मार्ग में झाड़ू इस तरह से लगाना कि धूल के साथ-साथ उस पर झाड़ू की हल्की सी चोट भी लग जाए। डरना मत, वह तुम्हें मारेगा नहीं। कुछ भी बोले तो चुपचाप सुनते रहना।’
अगले दिन स्नान-ध्यान करके वह व्यक्ति जैसे ही द्वार तक पहुंचा। महिला झाड़ू लगाते हुए पहुंच गयी। महिला ने आदेशानुसार जानबूझकर झाड़ू उस पर इस प्रकार से छुआ कि कपड़े भी गंदे हो गये।
कमल को बहुत क्रोध आया, पर झगड़ने की बात उसके मन में नहीं आयी। वह केवल महिला को गालियाँ बक कर फिर स्नान करने घर लौट गया।
जब वह महात्मा जी के पास वापिस पहुंचा, संत ने कहा-‘तुम्हारी काबिलियत में मुझे संदेह है। एक वर्ष के बाद यहाँ आना।’
एक वर्ष और बीत गया। कमल महात्मा जी के पास आया। उसे पूर्व के भांति स्नान-ध्यान करके आने की आज्ञा मिली।
महात्मा जी ने उसके जाते ही उसी महिला को फिर बुलाया- ‘इस बार सुबह जब वह आये तो तुम इस बार अपनी कचड़े की टोकरी उस पर उड़ेल देना।’
साफ-सफाई करने वाली महिला डर गयी।
महिला ने कहा- ‘वह तो अति कठोर स्वभाव का है। ऐसा करने पर तो वह अत्यंत क्रोधित होगा और मार-पीट पर उतर जायेगा।’
महात्मा जी ने उसे आश्वासन दिया- ‘चिन्ता मत करो। इस बार वह कुछ नहीं कहेगा। इसलिए तुम्हें भागने की आवश्यकता नहीं है।’
सुबह जैसे ही कमल आश्रम पहुँचा। महिला ने अनजान बनकर पूरा कूड़ा-कचरा उस पर उड़ेल दिया।
पर यह क्या! इस बार न तो वह गुस्सा हुआ और न ही मार-पीट के लिए दौड़ा।
कमल ने कहा- ‘माता! आप मेरी गुरु हैं। ’
कमल ने महिला के सामने अपना मस्तक झुका कर कहा... ‘आपने मुझ मूर्ख-अभिमानी पर अति कृपा की है।
आपके सहयोग से मैंने अपने बड़प्पन के अहंकार और क्रोध-रूपी शत्रु पर विजय प्राप्त की है।
वह दुबारा घर गया। स्नान करके आश्रम में उपस्थित हुआ।
इस बार महात्मा जी ने उसे गले लगा लिया और बोले- ‘पुत्र! तुमने अपने क्रोध पर काबू पा लिया है अतः अब तुम आश्रम में कार्य करने के सच्चे अधिकारी हो।

*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
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