सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।– अब्दुल कलाम
SAVE PAPER      SAVE TREE     SAVE ENVIRONMENT       SAVE EARTH

Sunday, September 20, 2020

*आज का प्रेरक प्रसंग*

 *!! क्रोध पर विजय !!*

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°′°°°°°°°°°°°°°°°
बहुत प्राचीन बात है। किसी गाँव में एक बुर्जुग महात्मा रहते थे। दूर-दूर से लोग शिक्षा गृहण करने के उद्देश्य से अपने बच्चों को उनके आश्रम में भेजते थे। एक दिन महात्मा जी के पास कमल नाम का एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति आया।
‘गुरु जी मुझे अपने श्रीचरणों में जगह दे दीजिए। अब मेरी कोई कामना बाकी नहीं रही है। मैं आश्रम में रहकर आपके आज्ञानुसार समाज को अभी तक प्राप्त किया हुआ ज्ञान वितरित करना चाहता हूँ।‘ पारखी वृद्ध महात्मा ने एकदम समझ लिया कि यह व्यक्ति काबिल है, इसकी कामना सच्ची है और यह समाज के प्रति अपने दायित्व को निभाने के लिए कृतसंकल्पित है।
कमल उनके चरणों में गिरकर प्रार्थना किये जा रहा था- गुरु जी! मुझे अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
महात्मा जी ने कहा-‘पुत्र! आश्रम की परम्परा है कि तुम स्नान करके पवित्र हो और भगवान के आगे संकल्प धारण करो कि अपना कृतव्य सही तरीके से निभाओगे। अतः इस कार्य के लिए तुम कल प्रातः स्नान करके आश्रम आ जाना।’
उसके जाते ही वृद्ध महात्मा जी ने साफ-सफाई का कार्य करने वाली महिला को अपने पास बुलाया और कहा ‘कल सुबह यह नया शिक्षक आयेगा। जैसे ही यह आश्रम के नजदीक आये, तुम इस प्रकार से झाड़ू लगाना कि उसके चेहरे पर धूल गिर जाए। लेकिन यह कार्य थोड़ा सावधानी से करना। वह तुम पर हाथ भी छोड़ सकता है। महिला महात्मा जी की बहुत सम्मान करती थी। उसने उनकी आज्ञा को सहर्ष स्वीकार कर लिया।
अति प्रसन्न मुद्रा में कमल नहा-धोकर इठलाता हुआ आश्रम आने लगा। जैसे ही वह नजदीक पहुँचा, महिला ने तेजी से झाड़ू लगाना शुरू कर दिया। कमल के पूरे चेहरे में धूल चली गई। उसके क्रोध की सीमा न रही। पास पड़े पत्थर को उठाकर वह महिला को मारने के लिए दौड़ा। महिला पहले ही सावधान थी। वह झाड़ू फैंक-फांक के वहाँ से भाग खड़ी हुई। अधेड़ के मुख में जो आया बकता चला गया।
कमल वापिस घर गया और दुबारा स्नान करके महात्मा के पास लौटा।
महात्मा जी ने कहा- ‘अभी तो तुम जानवरों के समान लडने के लिए दौड़ते-चिल्लाते हो। तुमसे अभी यहाँ शिक्षण कार्य नहीं होगा। तुम एक वर्ष के बाद आना तब तक जो कार्य करते हो वही करते रहो।’
कमल की इच्छा सच्ची थी। उसकी महात्मा में श्रद्धा भी सच्ची थी। वर्ष पूरा होते ही वह फिर महात्मा जी के समीप उपस्थित हुआ।
महात्मा जी ने आदेश दिया- ‘पुत्र तुम कल स्नान करके प्रातः आना।’
कमल के जाते ही महात्मा जी ने सफाई कर्मचारी को बुला कर कहा- ‘वह फिर आ रहा है। इस बार मार्ग में झाड़ू इस तरह से लगाना कि धूल के साथ-साथ उस पर झाड़ू की हल्की सी चोट भी लग जाए। डरना मत, वह तुम्हें मारेगा नहीं। कुछ भी बोले तो चुपचाप सुनते रहना।’
अगले दिन स्नान-ध्यान करके वह व्यक्ति जैसे ही द्वार तक पहुंचा। महिला झाड़ू लगाते हुए पहुंच गयी। महिला ने आदेशानुसार जानबूझकर झाड़ू उस पर इस प्रकार से छुआ कि कपड़े भी गंदे हो गये।
कमल को बहुत क्रोध आया, पर झगड़ने की बात उसके मन में नहीं आयी। वह केवल महिला को गालियाँ बक कर फिर स्नान करने घर लौट गया।
जब वह महात्मा जी के पास वापिस पहुंचा, संत ने कहा-‘तुम्हारी काबिलियत में मुझे संदेह है। एक वर्ष के बाद यहाँ आना।’
एक वर्ष और बीत गया। कमल महात्मा जी के पास आया। उसे पूर्व के भांति स्नान-ध्यान करके आने की आज्ञा मिली।
महात्मा जी ने उसके जाते ही उसी महिला को फिर बुलाया- ‘इस बार सुबह जब वह आये तो तुम इस बार अपनी कचड़े की टोकरी उस पर उड़ेल देना।’
साफ-सफाई करने वाली महिला डर गयी।
महिला ने कहा- ‘वह तो अति कठोर स्वभाव का है। ऐसा करने पर तो वह अत्यंत क्रोधित होगा और मार-पीट पर उतर जायेगा।’
महात्मा जी ने उसे आश्वासन दिया- ‘चिन्ता मत करो। इस बार वह कुछ नहीं कहेगा। इसलिए तुम्हें भागने की आवश्यकता नहीं है।’
सुबह जैसे ही कमल आश्रम पहुँचा। महिला ने अनजान बनकर पूरा कूड़ा-कचरा उस पर उड़ेल दिया।
पर यह क्या! इस बार न तो वह गुस्सा हुआ और न ही मार-पीट के लिए दौड़ा।
कमल ने कहा- ‘माता! आप मेरी गुरु हैं। ’
कमल ने महिला के सामने अपना मस्तक झुका कर कहा... ‘आपने मुझ मूर्ख-अभिमानी पर अति कृपा की है।
आपके सहयोग से मैंने अपने बड़प्पन के अहंकार और क्रोध-रूपी शत्रु पर विजय प्राप्त की है।
वह दुबारा घर गया। स्नान करके आश्रम में उपस्थित हुआ।
इस बार महात्मा जी ने उसे गले लगा लिया और बोले- ‘पुत्र! तुमने अपने क्रोध पर काबू पा लिया है अतः अब तुम आश्रम में कार्य करने के सच्चे अधिकारी हो।

*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍

Tuesday, September 8, 2020

*आज का प्रेरक प्रसंग*

*!! एक अनोखा मालिक !!*
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
जाकिर हुसैन के घर पर एक अधेड़ उम्र का नौकर था। वह रोज देर से सोकर उठता था। उसकी इस आदत से घर वाले उससे परेशान थे। उन्होंने उस नौकर की शिकायत जाकिर हुसैन साहब से कर दी और उसे बाहर करने को कहा। इसके जवाब में जाकिर साहब ने केवल यही कहा-‘उसे समझाओ।’ सबने उसे समझाया, पर इसके बावजूद उस पर कोई असर न हुआ। ‘अब आप ही समझाकर देखिए उस नौकर को!’ घरवालों ने जाकिर साहब से निवेदन किया।
अगले दिन सवेरे जाकिर साहब उठे। एक लोटा पानी भरकर उस नौकर के सिर के पास जाकर खड़े हो गए। नौकर अभी तक गहरी नींद में ही था। वे उसे धीरे से उठाते हुए बोले-‘उठिए मालिक! जागिए! सवेरा हो गया। मुंह हाथ धो लीजिए। मैं अभी आपके लिए चाय और स्नान के पानी का इंतजाम करता हूं।’ इतना कहकर वे चले गए। इधर नौकर परेशान कि ये हो क्या रहा है, कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं। वह अभी बैठा-बैठा यह सोच ही रहा था।
तभी जाकिर साहब चाय लेकर आते दिखाई दिए। वे आकर बोले-‘मालिक, लीजिए चाय पीकर स्नान करने चलिए।’ नौकर बहुत घबराया। क्षमा मांगते हुए बोला-‘हुजूर! आज के बाद से मेरे देर तक सोकर उठने की शिकायत किसी को नहीं होगी।’ इस पर जाकिर साहब मुस्करा दिए। अगले दिन सभी घरवालों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि वह नौकर सबसे पहले उठकर घर का सारा काम कर रहा था। नौकर डॉक्टर जाकिर हुसैन की विनयशीलता से अभिभूत हो गया। 
शिक्षा:-
जाकिर साहब ने अपने घर के लोगों को समझाया- व्यक्ति के आचरण में निहित विनम्रता का कमाल यही है कि वह सामने वाले व्यक्ति पर बेहद सरलता के साथ अपना प्रभाव डाल देता है। समाज में अपने व्यवहार द्वारा प्रभाव पैदा करना है तो जीवन में विनम्रता को स्थान दें।

Monday, September 7, 2020

Top 10 scorer for Quiz On Teachers Day 2020

1.  Satyam                               6.Surya Pratap
2.  Piyush Kumar Sharma  7.Kartikay
3.  Satyam Rastogi                8. Swapnil
4.  Avinav Katiyar.               9. Shourya Pratap Singh
5.  Yahi Shrivastava.            10. Anupam

Friday, September 4, 2020

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन

शिक्षक समाज के ऐसे शिल्पकार होते हैं जो बिना किसी मोह के इस समाज को तराशते हैं। शिक्षक का काम सिर्फ किताबी ज्ञान देना ही नहीं बल्कि सामाजिक परिस्थितियों से छात्रों को परिचित कराना भी होता है। शिक्षकों की इसी महत्ता को सही स्थान दिलाने के लिए ही हमारे देश में सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पुरजोर कोशिशें की, जो खुद एक बेहतरीन शिक्षक थे।

अपने इस महत्वपूर्ण योगदान के कारण ही, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाकर डॉ.राधाकृष्णन के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है। 

 जीवन परिचय –  5 सितंबर 1888 को चेन्नई से लगभग 200 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित एक छोटे से कस्बे तिरुताणी में डॉक्टर राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वी. रामास्वामी और माता का नाम श्रीमती सीता झा था। रामास्वामी एक गरीब ब्राह्मण थे और तिरुताणी कस्बे के जमींदार के यहां एक साधारण कर्मचारी के समान कार्य करते थे।  डॉक्टर राधाकृष्णन अपने पिता की दूसरी संतान थे। उनके चार भाई और एक छोटी बहन थी छः बहन-भाईयों और दो माता-पिता को मिलाकर आठ सदस्यों के इस परिवार की आय अत्यंत सीमित थी। इस सीमित आय में भी डॉक्टर राधाकृष्णन ने सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन्होंने न केवल महान शिक्षाविद के रूप में ख्याति प्राप्त की,बल्कि देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया। स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बचपन में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शुरुआती जीवन तिरुतनी और तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर ही बीता।  यद्यपि इनके पिता धार्मिक विचारों वाले इंसान थे लेकिन फिर भी उन्होंने राधाकृष्णन को पढ़ने के लिए क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल,तिरुपति में दाखिल कराया। इसके बाद उन्होंने वेल्लूर और मद्रास कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त की। वह शुरू से ही एक मेधावी छात्र थे।  अपने विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने बाइबल के महत्वपूर्ण अंश याद कर लिए थे,जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान भी प्रदान किया गया था। उन्होंने वीर सावरकर और विवेकानंद के आदर्शों का भी गहन अध्ययन कर लिया था। सन 1902 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंकों में उत्तीर्ण की जिसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की गई।  कला संकाय में स्नातक की परीक्षा में वह प्रथम आए। इसके बाद उन्होंने दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर किया और जल्द ही मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए। डॉ.राधाकृष्णन ने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शन शास्त्र से परिचित कराया। 

Tuesday, September 1, 2020