सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।– अब्दुल कलाम
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Wednesday, October 11, 2023

वार्षिक शैक्षिक निरीक्षण 2023-2024

केन्द्रीय विद्यालय आई. वी. आर. आई. बरेली

श्री विजय कुमार (अध्यक्ष निरीक्षण दल) सहायक आयुक्त लखनऊ संभाग , लखनऊ 

सम्मानित सदस्य गण -

1.श्री शिव कुमार सिंह (प्राचार्य , के. वि. जे. एल. ए. बरेली)

2.श्री सुबोध कुमार अग्निहोत्री ( प्राचार्य, के. वि. पूर्वोत्तर रेलवे बरेली)

3. श्री प्रवेश खरे ( प्राचार्य, के. वि. एस. जी. पी. जी.आई. लखनऊ)

4. श्री नीरज कुमार गुप्ता (मुख्याध्यापक, के. वि. पूर्वोत्तर रेलवे बरेली)

5.श्री मनोज कुमार (प्राचार्य, शिवगढ़ रायबरेली)


Friday, September 8, 2023

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (08/09/2023)

 

साक्षरता पूरे विश्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। शिक्षा के महत्व और समाज में इसकी साक्षरता और शिक्षा की भूमिका को दर्शाने के लिए हर साल 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस (International Literacy Day) मनाती है।

ये दिन हमें व्यक्तिगत विकास, सामाजिक विकास और प्रगति के महत्व को स्मरण करवाता है। साक्षरता का आसान भाषा में अर्थ 'पढ़ने लिखने की क्षमता' से है। माना जाता है कि विकास के लिए शिक्षित होना आवश्यक है, जिन देशों में साक्षरता दर कम है उन देशों की प्रगति बहुत अधिक धीमी होती है। वह आर्थिक रूप से विफलता का सामना कर रहे हैं। वहीं जिन देशों में साक्षरता दर अच्छी होती है उनकी प्रगति होती है और विकास की दिशा में वह निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं। इसलिए कहा जाता है कि किसी भी देश की प्रगति के लिए उस देश के वासियों को शिक्षित होना आवश्यक है और ये दिवस लोगों में साक्षरता के महत्व को लेकर जागरूकता पैदा करने का काम करता है।


Wednesday, August 16, 2023


Independence Day, in India, national holiday celebrated annually on August 15. Independence Day marks the end of British rule in 1947, brought about by the Indian Independence Act of July 18 that year, and the establishment of a free and independent Indian nation. It also marks the anniversary of the partition of the subcontinent into two countries, India and Pakistan, which occurred at midnight on August 14–15, 1947. (In Pakistan, Independence Day is celebrated on August 14.)

British rule in India began in 1757 when, following the British victory at the Battle of Plassey, the English East India Company began exercising control over the country. The East India Company ruled India for 100 years, until it was replaced by direct British rule (often referred to as the British raj) in the wake of the Indian Mutiny in 1857–58. The Indian independence movement began during World War I and was led by Mohandas K. Gandhi, who advocated for a peaceful and nonviolent end to British rule.

Independence Day is marked throughout India with flag-raising ceremonies, drills, and the singing of the Indian national anthem. Additionally, various cultural programs are made available in the state capitals. After the prime minister participates in the flag-raising ceremony at the Red Fort historic monument in Old Delhi, a parade ensues with members of the armed forces and police. The prime minister then delivers a televised address to the country, recounting the major accomplishments of India during the previous year and outlining future challenges and goals. Kite flying has also become an Independence Day tradition, with kites of various sizes, shapes, and colours filling the sky. Also, to commemorate the day, government offices in New Delhi remain lit throughout the holiday, even though they are closed.


Friday, April 14, 2023

      भारत को संविधान देने वाले महान नेता डॉ. भीम राव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था। डा. भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का भीमाबाई था। अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान के रूप में जन्में डॉ. भीमराव अम्बेडकर जन्मजात प्रतिभा संपन्न थे। भीमराव अंबेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत और बेहद निचला वर्ग मानते थे।

        बचपन में भीमराव अंबेडकर (Dr.B R Ambedkar) के परिवार के साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। भीमराव अंबेडकर के बचपन का नाम रामजी सकपाल था. अंबेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्य करते थे और उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवा में थे. भीमराव के पिता हमेशा ही अपने बच्चों की शिक्षा पर जोर देते थे।

Thursday, April 6, 2023

पुस्तकोपहार

पुस्तकोपहार योजना के अंतर्गत बच्चों को बृक्ष बचाओ जीवन बचाओ की थीम को समझाया गया । अभिवावकों ने भी इसमें अति उत्साह दिखाया जिसके परिणाम स्वरुप 2070 किताबों का आदान प्रदान हुआ ।



Monday, January 24, 2022


 सुभाष चन्द्र बोस (बांग्ला: সুভাষ চন্দ্র বসু उच्चारण: शुभाष चॉन्द्रो बोशु, जन्म: 23 जनवरी 1897, मृत्यु: 18 अगस्त 1945) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था[1]। उनके द्वारा दिया गया जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया।[2]भारतवासी उन्हें नेता जी के नाम से सम्बोधित करते हैं।

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से सहायता लेने का प्रयास किया था, तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें खत्म करने का आदेश दिया था।[3]

नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इंफाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया।

21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आज़ाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी जिसे जर्मनीजापानफिलीपींसकोरियाचीनइटलीमान्चुको और आयरलैंड सहित 11 देशो की सरकारों ने मान्यता दी थी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये। सुभाष उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया।

1944 को आज़ाद हिंद फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया। कोहिमा का युद्ध 4 अप्रैल 1944 से 22 जून 1944 तक लड़ा गया एक भयंकर युद्ध था। इस युद्ध में जापानी सेना को पीछे हटना पड़ा था और यही एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ।

6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं।[4]

नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है।[5] जहाँ जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो भारत सरकार ने उनकी मृत्यु से संबंधित (सम्बन्धित) दस्तावेज अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किये?(यथा संभव (सम्भव) नेता जी की मौत नहीं हुई थी) [6]

16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नेता जी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की माँग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये विशेष पीठ के गठन का आदेश दिया।[7]

आज़ाद हिन्द सरकार के 75 वर्ष पूर्ण होने पर इतिहास में पहली बार वर्ष 2018 में भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर तिरंगा फहराया। 23 जनवरी 2021 को नेताजी की 125वीं जयन्ती है जिसे भारत सरकार ने पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

Thursday, January 13, 2022

Swami Vivekanand


 स्वामी विवेकानन्द (बांग्ला: স্বামী বিবেকানন্দ) (जन्म: 12 जनवरी 1863 - मृत्यु: 4 जुलाई 1902) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था लेकिन उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों" के साथ करने के लिये जाना जाता है।[4] उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।

कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली कायस्थपरिवार में जन्मे विवेकानन्द आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे। वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीवो मे स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व हैं; इसलिए मानव जाति अथेअथ जो मनुष्य दूसरे जरूरतमन्दो मदद करता है या सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानन्द ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल किया। बाद में विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान किया। विवेकानन्द ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धान्तों का प्रसार किया और कई सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया। भारत में विवेकानन्द को एक देशभक्त सन्यासी के रूप में माना जाता है और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।[5]

Sunday, October 31, 2021

वल्लभ भाई पटेल

वल्लभभाई झावेरभाई पटेल (३१ अक्टूबर १८७५ – १५ दिसंबर १९५०), जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया। भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है "प्रमुख"। उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया।

Monday, August 16, 2021

सुभद्रा कुमारी चौहान (१६ अगस्त १९०४-१५ फरवरी १९४८हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए पर उनकी प्रसिद्धि झाँसी की रानी (कविता) के कारण है। ये राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं, किन्तु इन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया। वातावरण चित्रण-प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है, इस कारण इनकी रचना की सादगी हृदयग्राही है।

Happy Independence Day

Saturday, July 31, 2021

Munshi Premchand Birth Anniversary 2021

 

नाम – धनपत राय श्रीवास्तव उर्फ़ नवाब राय उर्फ़ मुंशी प्रेमचंद
पिता का नाम – अजीब राय
माता का नाम – आनंदी देवी
पत्नी – शिवरानी देवी
व्यवसाय – अध्यापक, लेखक, पत्रकार
जन्म स्थान – लमही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत
जन्म तारीख – 31 जुलाई 1880
अवधि/काल – आधुनिक काल
उल्लेखनीय कार्य – गोदान, कर्मभूमि, रंगभूमि, सेवासदन, निर्मला और मानसरोवर
मृत्यु – 8 अक्टूबर, 1936 वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत

Saturday, May 1, 2021

1 मई: मजदूर दिवस के अलावा और क्या खास


 एक मई का दिन इतिहास में मजदूर दिवस के तौर पर दर्ज है। दुनिया में मजदूर दिवस मनाने का चलन करीब 132 साल पुराना है। मजदूरों ने काम के घंटे तय करने की मांग को लेकर 1877 में आंदोलन शुरू किया, इस दौरान यह दुनिया के विभिन्न देशों में फैलने लगा। एक मई 1886 को पूरे अमेरिका के लाखों मज़दूरों ने एक साथ हड़ताल शुरू की। इसमें 11,000 फ़ैक्टरियों के कम से कम तीन लाख अस्सी हज़ार मज़दूर शामिल हुए और वहीं से एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई। देश दुनिया के इतिहास में एक मई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है...

1886: अमेरिका के शिकागो में कामगारों के लिए काम के घंटे तय करने को लेकर हड़ताल, मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत।

1897: स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

1908: प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर बम कांड को अंजाम देने के बाद खुद को गोली मारी।

1914: कार निर्माता फोर्ड वह पहली कंपनी बनी जिसने अपने कर्मचारियों के लिए आठ घंटे काम करने का नियम लागू किया।

1923: भारत में मई दिवस मनाने की शुरुआत।

1956: जोनसा साल्क द्वारा विकसित पोलियो वैक्सीन जनता के लिए उपलब्ध कराई गई। ॉ

1960: महाराष्ट्र और गुजरात अलग अलग राज्य बने।

1972: देश की कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण।

2009: स्वीडन ने समलैंगिक विवाह को मंजूरी दी।

2011: अमेरिका पर 2001 के हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान के ऐबटाबाद में मारे जाने की पुष्टि।

Wednesday, April 14, 2021

Ambedker Jayanti

भीमराव रामजी आम्बेडकर[a] (14 अप्रैल1891 – 6 दिसंबर1956), डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञविधिवेत्ताअर्थशास्त्रीराजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।[1] उन्होंने दलित बौद्ध आन्दोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था।[2] वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्रीभारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।