यह दिवस भारत सरकार भारत के पहले शिक्षा मंत्री एवं भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की याद में हर 11 नवंबर को मनाया जाता है। वैधानिक रूप से इसका प्रारम्भ 11 नवम्बर 2008 से किया गया है। मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवम्बर 1888 को हुआ था। वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे।
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Wednesday, November 11, 2020
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
यह दिवस भारत सरकार भारत के पहले शिक्षा मंत्री एवं भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की याद में हर 11 नवंबर को मनाया जाता है। वैधानिक रूप से इसका प्रारम्भ 11 नवम्बर 2008 से किया गया है। मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवम्बर 1888 को हुआ था। वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे।
Friday, October 30, 2020
सरदार वल्लभ भाई पटेल
पद बहाल 15 अगस्त 1947 – 15 दिसम्बर 1950 | |
प्रधानमंत्री | जवाहरलाल नेहरु |
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पूर्वा धिकारी | पद सृजन |
उत्तरा धिकारी | मोरारजी देसाई |
पद बहाल 15 अगस्त 1947 – 15 दिसम्बर 1950 | |
प्रधानमंत्री | जवाहरलाल नेहरु |
पूर्वा धिकारी | पद सृजन |
उत्तरा धिकारी | चक्रवर्ती राजगोपालाचारी |
जन्म | 31 अक्टूबर 1875 नडियाद, बंबई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु | 15 दिसम्बर 1950 (उम्र 75) बॉम्बे, बॉम्बे राज्य, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
बच्चे | मणिबेन पटेल, दह्याभाई पटेल |
शैक्षिक सम्बद्धता | मिडल टेम्पल |
पेशा | वकालत, राजनीति |
सतर्कता जागरूक सप्ताह
:white_check_mark:क्यों मनाया जाता है ?
:arrow_right:प्रत्येक वर्ष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्म दिवस 31 अक्टूबर को ध्यान में रखकर सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
:arrow_right:इस साल 2020 में, सतर्कता जागरूकता सप्ताह 27 अक्टूबर से 2 नवंबर, 2020 तक “सतर्क भारत, समृद्ध भारत - Satark Bharat, Samriddh Bharat (Vigilant India, Prosperous India)” विषय के साथ मनाया जा रहा है।
:arrow_right:वेबसाइट पर अर्थगर्भित विषयों को डालने तथा प्रस्तावित विषय पर मुख्य सतर्कता अधिकारियों की राय प्राप्त करने के बाद इस वर्ष इस विषय को चुना गया है।
:arrow_right:केन्द्रीय सतर्कता आयोग 27 अक्टूबर से 2 नवंबर, 2020 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह का अनुपालन कर रहा है।
:arrow_right:नागरिक भागीदारी के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी तथा सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने के लिए, यह जागरूकता सप्ताह हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है ।
:arrow_right:आयोग का मानना है कि राष्ट्र की प्रगति में भ्रष्टाचार एक मुख्य बाधा है । समाज के सभी वर्गों को हमारे राष्ट्रीय जीवन में ईमानदारी बनाए रखने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है।
Monday, October 26, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
!! असली शिक्षा !!*
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एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाईल से बातें करते हुए महिला ने अपनी बच्ची से कहा, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैंसे दी, बच्ची कार से उतरतें ही- अरें बुढिया ! यें सब्जी कैंसे दी?
40 रूपयें किलो, बेबी जी...
सब्जी लेते ही उस बच्ची ने सौ रूपयें का नोट उस सब्जी वाली को फेंक कर दिया और आकर कार पर बैठ गयी, कार जाने लगी तभी अचानक किसी ने कार के सीसे पर दस्तक दी, एक छोटी सी बच्ची जो हाथ में 60 रूपयें कार में बैठी उस औरत को देते हुए, बोलती हैं आंटी जी यें आपके सब्जी के बचें 60 रूपयें हैं, आपकी बेटी भूल आयी हैं। कार में बैठी औरत ने कहा तुम रख लों, उस बच्ची ने बड़ी ही मिठी और सभ्यता से कहा- नहीं आंटी जी हमारें जितने पैंसे बनते थें हमने ले लियें, हम इसे नहीं रख सकतें, मैं आपकी आभारी हूं, आप हमारी दुकान पर आए और आशा करती हूं कि सब्जी आपको अच्छी लगें, जिससे आप हमारें ही दुकान पर हमेशा आए। उस लड़की ने हाथ जोड़े और अपनी दुकान लौट गयी...
कार में बैठी महिला उस लड़की से बहुत प्रभावित हुई और कार से उतर कर फिर सब्जी की दुकान पर जाने लगी, जैसें ही वहाँ पास गयी, सब्जी वाली अपनी बच्ची को पूछते हुयें, तुमने तमीज से बात की ना, कोई शिकायत का मौका तो नहीं दिया ना..?
बच्ची ने कहा, हाँ माँ मुझे आपकी सिखाई हर बात याद है, कभी किसी बड़े का अपमान मत करो, उनसे सभ्यता से बात करो, उनकी कद्र करो, क्यूंकि बड़े-बुजर्ग बड़े ही होते हैं, मुझे आपकी सारी बात याद है और मैं सदैव इन बातों का स्मरण रखूंगी। बच्ची ने फिर कहा, अच्छा माँ अब मैं स्कूल चलती हूं, शाम में स्कूल से छुट्टी होते ही, दुकान पर आ जाऊंगी...
कार वाली महिला शर्म से पानी पानी थी, क्यूंकि एक सब्जी वाली अपनी बेटी को इंसानियत और बड़ों से बात करने के शिष्टाचार का पाठ सीखा रही थी और वह महिला अपनी बेटी को छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच का मन में बीज बो रही थी..!!
शिक्षा:-
सबसे अच्छा तो वो कहलाता है जो आसमान पर भी रहता है और जमींन से भी जुड़ा रहता है। बस इंसानियत, भाईचारें, सभ्यता, आचरण, वाणी में मिठास, सब की इज्जत करने की सीख दीजिए अपने बच्चों को, क्यूंकि अब बस यहीं पढ़ाई है जो आने वाले समय में बहुत ही ज्यादा मुश्किल होगी इसे पढ़ने, इसे याद रखने, इसे ग्रहण करने में और जीवन को उपयोगी बनानें में !!
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
Sunday, October 25, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
*स्कूल टीचर ने बोर्ड पर लिखा:*
9×1=9
9×2=18
9×3=27
9×4=36
9×5=45
9×6=54
9×7=63
9×8=72
9×9=81
9×10=89
*लिखने के बाद बच्चों को देखा तो बच्चे शिक्षक पर हंस रहे थे, क्योंकि आखिरी लाइन गलत थी।*
*फिर शिक्षक ने कहा:*
*"मैंने आखिरी लाइन किसी उद्देश्य से गलत लिखी है क्यूंकि मैं तुम सभी को कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण सिखाना चाहता हूं।*
*दुनिया तुम्हारे साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी..!*
*तुम देख सकते हो कि मैंने ऊपर 9 बार सही लिखा है पर किसी ने भी मेरी तारीफ नहीं की..??*
*पर मेरी सिर्फ एक ही गलती पर तुम लोग हंसे और मुझे क्रिटिसाइज भी किया।"*
*तो यही नसीहत है :*
*कि दुनिया कभी आपके लाख अच्छे कार्यों को एप्रीशिएट (appreciate) करे या न करे , परन्तु आपके द्वारा की गई एक गलती को क्रिटिसाइज (criticize) जरूर करेगी।*
*ये एक कटु सत्य है*
*स्वस्थ एवं सुरक्षित रहें।*
Monday, October 5, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
*!! महिला के शुभ कदम !!*
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एक आदमी ने दुकानदार से पूछा: केले और सेव फल क्या भाव लगाऐ है? दुकानदार: केले 20 रु. दर्जन और सेव 100 रु. किलो
उसी समय एक गरीब सी औरत दुकान में आयी और बोली मुझे एक किलो सेव और एक दर्जन केले चाहिए, क्या भाव है? भैया दुकानदार: केले 5 रु दर्जन और सेब 25 रु किलो। औरत ने कहा: जल्दी से दे दीजिए। दुकान में पहले से मौजूद ग्राहक ने खा जाने वाली निगाहों से घूरकर दुकानदार को देखा, इससे पहले कि वो कुछ कहता, दुकानदार ने ग्राहक को इशारा करते हुए थोड़ा सा इंतजार करने को कहा। औरत खुशी-खुशी खरीदारी करके दुकान से निकलते हुए बड़बड़ाई हे भगवान! तेरा लाख-लाख शुक्र है, मेरे बच्चे फलों को खाकर बहुत खुश होंगे।
औरत के जाने के बाद, दुकानदार ने पहले से मौजूद ग्राहक की तरफ देखते हुए कहा: ईश्वर गवाह है, भाई साहब मैंने आपको कोई धोखा देने की कोशिश नहीं की। यह विधवा महिला है, जो चार अनाथ बच्चों की मां है। किसी से भी किसी तरह की मदद लेने को तैयार नहीं है। मैंने कई बार कोशिश की है और हर बार नाकामी मिली है। तब मुझे यही तरकीब सूझी है कि जब कभी ये आए तो, मैं उसे कम से कम दाम लगाकर चीज़े दे दूँ। मैं यह चाहता हूँ कि उसका भ्रम बना रहे और उसे लगे कि वह किसी की मोहताज नहीं है।
मैं इस तरह भगवान के बन्दों की पूजा कर लेता हूँ। थोड़ा रूक कर दुकानदार बोला: यह औरत हफ्ते में एक बार आती है। भगवान गवाह है, जिस दिन यह आ जाती है उस दिन मेरी बिक्री बढ़ जाती है और उस दिन परमात्मा मुझ पर मेहरबान हो जाता है।
ग्राहक की आंखों में आंसू आ गए, उसने आगे बढ़कर दुकानदार को गले लगा लिया और बिना किसी शिकायत के अपना सौदा खरीदकर खुशी-खुशी चला गया। खुशी अगर बांटना चाहो तो तरीका भी मिल जाता है।
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
Sunday, September 20, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
Wednesday, September 9, 2020
Tuesday, September 8, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
Monday, September 7, 2020
Top 10 scorer for Quiz On Teachers Day 2020
Friday, September 4, 2020
सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन
Tuesday, September 1, 2020
Quiz Competition Result for Class VII
Top scorer of quiz.
1. Ayush
2. Gargi
3. Krishna
4. Ketan
5. Aditya
Monday, August 31, 2020
Quiz Competition Result for Class VIII
Saturday, August 29, 2020
मेजर ध्यानचंद
Thursday, August 27, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
*!! हर व्यक्ति का महत्व !!*
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एक बार एक विद्यालय में परीक्षा चल रही थी। सभी बच्चे अपनी तरफ से पूरी तैयारी करके आये थे। कक्षा का सबसे ज्यादा पढ़ने वाला और होशियार लड़का अपने पेपर की तैयारी को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त था। उसको सभी प्रश्नों के उत्तर आते थे लेकिन जब उसने अंतिम प्रशन देखा तो वह चिन्तित हो गया। सबसे अंतिम प्रशन में पूछा गया था कि “विद्यालय में ऐसा कौन व्यक्ति है जो हमेशा सबसे पहले आता है? वह जो भी है, उसका नाम बताइए।”
परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के ध्यान में एक महिला आ रही थी। वही महिला जो सबसे पहले स्कूल में आकर स्कूल की साफ सफाई करती। पतली, सावलें रंग की और लम्बे कद की उस महिला की उम्र करीब 50 वर्ष के आसपास थी। ये चेहरा वहां परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के आगे घूम रहा था। लेकिन उस महिला का नाम कोई नहीं जानता था। इस सवाल के जवाब के रूप में कुछ बच्चों ने उसका रंग-रूप लिखा तो कुछ ने इस सवाल को ही छोड़ दिया।
परीक्षा समाप्त हुई और सभी बच्चों ने अपने अध्यापक से सवाल किया कि “इस महिला का हमारी पढ़ाई से क्या सम्बन्ध है। इस सवाल का अध्यापक जी ने बहुत ही सुन्दर जवाब दिया “ये सवाल हमने इसलिए पूछा था कि आपको यह अहसास हो जाये कि आपके आसपास ऐसे कई लोग हैं जो महत्वपूर्ण कामों में लगे हुए है और आप उन्हें जानते तक नहीं। इसका मतलब आप जागरूक नहीं है।
शिक्षा:-
हमारे आसपास की हर चीज, व्यक्ति का विशेष महत्व होता है, वह खास होता है। किसी को भी नजरअंदाज नहीं करें।
Sunday, August 23, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
*!! दान का महत्व !!*
एक बहुत प्रसिद्ध संत थे जिन्होंने समाज कल्याण के लिए एक मिशन शुरू किया। जिसे आगे बढ़ाने के लिए उन्हें तन मन धन तीनों की ही आवश्यक्ता थी। इस कार्य में उनके शिष्यों ने तन मन से भाग लिया और इन कार्यकर्ताओं ने धन के लिए दानियों को खोजना शुरू किया।एक दिन, एक शिष्य कलकत्ता पहुँचा। जहाँ उसने एक दानवीर सेठ का नाम सुना। यह जान कर उस शिष्य ने सोचा कि इन्हें गुरूजी से मिलवाना उचित होगा, हो सकता है यह हमारे समाज कल्याण के कार्य में दान दे।
इस कारण शिष्य सेठ जी को गुरु जी से मिलवाने ले गए। गुरूजी से मिल कर सेठ जी ने कहा – हे महंत जी आपके इस समाज कल्याण में, मैं अपना योगदान देना चाहता हूँ पर मेरी एक मंशा है जो आपको स्वीकार करनी होगी। आपके इस कार्य के लिए मैं भवन निर्माण करवाना चाहता हूँ और प्रत्येक कमरे के आगे मैं अपने परिजनों का नाम लिखवाना चाहता हूँ । इस हेतु मैं दान की राशि एवं नामों की सूचि संग लाया हूँ और यह कह कर सेठ जी दान गुरु जी के सामने रखते हैं।
गुरु जी थोड़े तीखे स्वर में दान वापस लौटा देते हैं और अपने शिष्य को डाटते हुए कहते हैं कि- हे अज्ञानी! तुम किसे साथ ले आये हो, ये तो अपनों के नाम का कब्रिस्तान बनाना चाहते हैं। इन्हें तो दान और मेरे मिशन दोनों का ही महत्व समझ नहीं आया।
यह देख सेठ जी हैरान थे क्यूंकि उन्हें इस तरह से दान लौटा देने वाले संत नहीं मिले थे। इस घटना से सेठ जी को दान का महत्व समझ आया। कुछ दिनों बाद आश्रम आकार उन्होंने श्रध्दा पूर्वक विनय किया और निस्वार्थ भाव दान किया तब उन्हें जो आतंरिक सुख प्राप्त हुआ वो कभी पहले किसी भी दान से नहीं हुआ था।
*सीख/शिक्षा:-*
दान का स्वरूप दिखावा नहीं होता। जब तक निःस्वार्थ भाव से दान नहीं दिया जाता तब तक वह स्वीकार्य नहीं होता और दानी को आत्म शांति अनुभव नहीं होती। किसी की मदद करके भूल जाना ही दानी की पहचान है जो इस कार्य को उपकार मानता है, असल में वो दानी नहीं हैं ना उसे दान का अर्थ पता हैं।
Top 10 scorer for Independence Day Quiz
1. Vagish Kumar. 6. Vedant Saxena
2. Shashank. 7. Mohd. Shan
3. Ananya Bajpai. 8. Mukul Raj Gangwar
4. Syed Sabir Ahmed. 9. Saksham
5. Shorya Pratap Singh. 10. Akshat Saxena
Saturday, August 22, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
!! *गुलामी की सीख* !!
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दास प्रथा के दिनों में एक मालिक के पास अनेकों गुलाम हुआ करते थे। उन्हीं में से एक था लुक़मान। लुक़मान था तो सिर्फ एक गुलाम लेकिन वह बड़ा ही चतुर और बुद्धिमान था। उसकी ख्याति दूर दराज़ के इलाकों में फैलने लगी थी। एक दिन इस बात की खबर उसके मालिक को लगी, मालिक ने लुक़मान को बुलाया और कहा- सुनते हैं, कि तुम बहुत बुद्धिमान हो। मैं तुम्हारी बुद्धिमानी की परीक्षा लेना चाहता हूँ।
अगर तुम इम्तिहान में पास हो गए तो तुम्हें गुलामी से छुट्टी दे दी जाएगी। अच्छा जाओ, एक मरे हुए बकरे को काटो और उसका जो हिस्सा बढ़िया हो, उसे ले आओ। लुक़मान ने आदेश का पालन किया और मरे हुए बकरे की जीभ लाकर मालिक के सामने रख दी। कारण पूछने पर कि जीभ ही क्यों लाया ! लुक़मान ने कहा- अगर शरीर में जीभ अच्छी हो तो सब कुछ अच्छा-ही-अच्छा होता है। मालिक ने आदेश देते हुए कहा- “अच्छा! इसे उठा ले जाओ और अब बकरे का जो हिस्सा बुरा हो उसे ले आओ।”
लुक़मान बाहर गया, लेकिन थोड़ी ही देर में उसने उसी जीभ को लाकर मालिक के सामने फिर रख दिया। फिर से कारण पूछने पर लुक़मान ने कहा- “अगर शरीर में जीभ अच्छी नहीं तो सब बुरा-ही-बुरा है। “उसने आगे कहते हुए कहा- “मालिक! वाणी तो सभी के पास जन्मजात होती है, परन्तु बोलना किसी-किसी को ही आता है…क्या बोलें? कैसे शब्द बोलें, कब बोलें। इस एक कला को बहुत ही कम लोग जानते हैं। एक बात से प्रेम झरता है और दूसरी बात से झगड़ा होता है।
कड़वी बातों ने संसार में न जाने कितने झगड़े पैदा किये हैं। इस जीभ ने ही दुनिया में बड़े-बड़े कहर ढाये हैं। जीभ तीन इंच का वो हथियार है जिससे कोई छः फिट के आदमी को भी मार सकता है तो कोई मरते हुए इंसान में भी प्राण फूंक सकता है । संसार के सभी प्राणियों में वाणी का वरदान मात्र मानव को ही मिला है। उसके सदुपयोग से स्वर्ग पृथ्वी पर उतर सकता है और दुरूपयोग से स्वर्ग भी नरक में परिणत हो सकता है।
भारत के विनाशकारी महाभारत का युद्ध वाणी के गलत प्रयोग का ही परिणाम था। “मालिक, लुक़मान की बुद्धिमानी और चतुराई भरी बातों को सुनकर बहुत खुश हुए ; आज उनके गुलाम ने उन्हें एक बहुत बड़ी सीख दी थी और उन्होंने उसे आजाद कर दिया।
*शिक्षा*:-
मित्रों, मधुर वाणी एक वरदान है जो हमें लोकप्रिय बनाती है वहीँ कर्कश या तीखी बोली हमें अपयश दिलाती है और हमारी प्रतिष्ठा को कम करती है। आपकी वाणी कैसी है ? यदि वो तीखी है या सामान्य भी है तो उसे मीठा बनाने का प्रयास करिये। आपकी वाणी आपके व्यत्कित्व का प्रतिबिम्ब है, उसे अच्छा होना ही चाहिए।
Thursday, August 20, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
*!! चिड़िया की ज्ञान की बातें !!*
राजा के विशाल महल में एक सुंदर वाटिका थी, जिसमें अंगूरों की एक बेल लगी थी। वहां रोज एक चिड़िया आती और मीठे अंगूर चुन-चुनकर खा जाती, मगर अधपके और खट्टे अंगूरों को नीचे गिरा देती। माली ने चिड़िया को पकड़ने की बहुत कोशिश की पर वह हाथ नहीं आई। हताश होकर एक दिन माली ने राजा को यह बात बताई। यह सुनकर भानुप्रताप को आश्चर्य हुआ। उसने चिड़िया को सबक सिखाने की ठान ली।
एक दिन वह वाटिका में छिपकर बैठ गया। जब चिड़िया अंगूर खाने आई तो राजा ने फुर्ती से उसे पकड़ लिया। जब राजा चिड़िया को मारने लगा, तो चिड़िया ने कहा, 'हे राजन, मुझे मत मारो। मैं आपको ज्ञान की 4 महत्वपूर्ण बातें बताऊंगी।' राजा ने कहा, 'जल्दी बता।' चिड़िया बोली, 'हे राजन, सबसे पहले तो हाथ में आए शत्रु को कभी मत छोड़ो।' राजा ने कहा, 'दूसरी बात बता।' चिड़िया ने कहा, 'असंभव बात पर भूलकर भी विश्वास मत करो और तीसरी बात यह है कि बीती बातों पर कभी पश्चाताप मत करो।' राजा ने कहा, 'अब चौथी बात भी जल्दी बता दो।' इस पर चिड़िया बोली, 'चौथी बात बड़ी गूढ़ और रहस्यमयी है। मुझे जरा ढीला छोड़ दें क्योंकि मेरा दम घुट रहा है। कुछ सांस लेकर ही बता सकूंगी।' चिड़िया की बात सुन जैसे ही राजा ने अपना हाथ ढीला किया, चिड़िया उड़कर एक डाल पर बैठ गई और बोली, 'मेरे पेट में दो हीरे हैं।'
यह सुनकर राजा पश्चाताप में डूब गया। राजा की हालत देख चिड़िया बोली, 'हे राजन, ज्ञान की बात सुनने और पढ़ने से कुछ लाभ नहीं होता, उस पर अमल करने से होता है। आपने मेरी बात नहीं मानी। मैं आपकी शत्रु थी, फिर भी आपने पकड़कर मुझे छोड़ दिया। मैंने यह असंभव बात कही कि मेरे पेट में दो हीरे हैं, फिर भी आपने उस पर भरोसा कर लिया। आपके हाथ में वे काल्पनिक हीरे नहीं आए तो आप पछताने लगे।
उपदेशों को जीवन में उतारे बगैर उनका कोई मोल नहीं।