Top scorer of quiz.
1. Ayush
2. Gargi
3. Krishna
4. Ketan
5. Aditya
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Top scorer of quiz.
1. Ayush
2. Gargi
3. Krishna
4. Ketan
5. Aditya
*!! हर व्यक्ति का महत्व !!*
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एक बार एक विद्यालय में परीक्षा चल रही थी। सभी बच्चे अपनी तरफ से पूरी तैयारी करके आये थे। कक्षा का सबसे ज्यादा पढ़ने वाला और होशियार लड़का अपने पेपर की तैयारी को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त था। उसको सभी प्रश्नों के उत्तर आते थे लेकिन जब उसने अंतिम प्रशन देखा तो वह चिन्तित हो गया। सबसे अंतिम प्रशन में पूछा गया था कि “विद्यालय में ऐसा कौन व्यक्ति है जो हमेशा सबसे पहले आता है? वह जो भी है, उसका नाम बताइए।”
परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के ध्यान में एक महिला आ रही थी। वही महिला जो सबसे पहले स्कूल में आकर स्कूल की साफ सफाई करती। पतली, सावलें रंग की और लम्बे कद की उस महिला की उम्र करीब 50 वर्ष के आसपास थी। ये चेहरा वहां परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के आगे घूम रहा था। लेकिन उस महिला का नाम कोई नहीं जानता था। इस सवाल के जवाब के रूप में कुछ बच्चों ने उसका रंग-रूप लिखा तो कुछ ने इस सवाल को ही छोड़ दिया।
परीक्षा समाप्त हुई और सभी बच्चों ने अपने अध्यापक से सवाल किया कि “इस महिला का हमारी पढ़ाई से क्या सम्बन्ध है। इस सवाल का अध्यापक जी ने बहुत ही सुन्दर जवाब दिया “ये सवाल हमने इसलिए पूछा था कि आपको यह अहसास हो जाये कि आपके आसपास ऐसे कई लोग हैं जो महत्वपूर्ण कामों में लगे हुए है और आप उन्हें जानते तक नहीं। इसका मतलब आप जागरूक नहीं है।
शिक्षा:-
हमारे आसपास की हर चीज, व्यक्ति का विशेष महत्व होता है, वह खास होता है। किसी को भी नजरअंदाज नहीं करें।
*!! दान का महत्व !!*
एक बहुत प्रसिद्ध संत थे जिन्होंने समाज कल्याण के लिए एक मिशन शुरू किया। जिसे आगे बढ़ाने के लिए उन्हें तन मन धन तीनों की ही आवश्यक्ता थी। इस कार्य में उनके शिष्यों ने तन मन से भाग लिया और इन कार्यकर्ताओं ने धन के लिए दानियों को खोजना शुरू किया।1. Vagish Kumar. 6. Vedant Saxena
2. Shashank. 7. Mohd. Shan
3. Ananya Bajpai. 8. Mukul Raj Gangwar
4. Syed Sabir Ahmed. 9. Saksham
5. Shorya Pratap Singh. 10. Akshat Saxena
!! *गुलामी की सीख* !!
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दास प्रथा के दिनों में एक मालिक के पास अनेकों गुलाम हुआ करते थे। उन्हीं में से एक था लुक़मान। लुक़मान था तो सिर्फ एक गुलाम लेकिन वह बड़ा ही चतुर और बुद्धिमान था। उसकी ख्याति दूर दराज़ के इलाकों में फैलने लगी थी। एक दिन इस बात की खबर उसके मालिक को लगी, मालिक ने लुक़मान को बुलाया और कहा- सुनते हैं, कि तुम बहुत बुद्धिमान हो। मैं तुम्हारी बुद्धिमानी की परीक्षा लेना चाहता हूँ।
अगर तुम इम्तिहान में पास हो गए तो तुम्हें गुलामी से छुट्टी दे दी जाएगी। अच्छा जाओ, एक मरे हुए बकरे को काटो और उसका जो हिस्सा बढ़िया हो, उसे ले आओ। लुक़मान ने आदेश का पालन किया और मरे हुए बकरे की जीभ लाकर मालिक के सामने रख दी। कारण पूछने पर कि जीभ ही क्यों लाया ! लुक़मान ने कहा- अगर शरीर में जीभ अच्छी हो तो सब कुछ अच्छा-ही-अच्छा होता है। मालिक ने आदेश देते हुए कहा- “अच्छा! इसे उठा ले जाओ और अब बकरे का जो हिस्सा बुरा हो उसे ले आओ।”
लुक़मान बाहर गया, लेकिन थोड़ी ही देर में उसने उसी जीभ को लाकर मालिक के सामने फिर रख दिया। फिर से कारण पूछने पर लुक़मान ने कहा- “अगर शरीर में जीभ अच्छी नहीं तो सब बुरा-ही-बुरा है। “उसने आगे कहते हुए कहा- “मालिक! वाणी तो सभी के पास जन्मजात होती है, परन्तु बोलना किसी-किसी को ही आता है…क्या बोलें? कैसे शब्द बोलें, कब बोलें। इस एक कला को बहुत ही कम लोग जानते हैं। एक बात से प्रेम झरता है और दूसरी बात से झगड़ा होता है।
कड़वी बातों ने संसार में न जाने कितने झगड़े पैदा किये हैं। इस जीभ ने ही दुनिया में बड़े-बड़े कहर ढाये हैं। जीभ तीन इंच का वो हथियार है जिससे कोई छः फिट के आदमी को भी मार सकता है तो कोई मरते हुए इंसान में भी प्राण फूंक सकता है । संसार के सभी प्राणियों में वाणी का वरदान मात्र मानव को ही मिला है। उसके सदुपयोग से स्वर्ग पृथ्वी पर उतर सकता है और दुरूपयोग से स्वर्ग भी नरक में परिणत हो सकता है।
भारत के विनाशकारी महाभारत का युद्ध वाणी के गलत प्रयोग का ही परिणाम था। “मालिक, लुक़मान की बुद्धिमानी और चतुराई भरी बातों को सुनकर बहुत खुश हुए ; आज उनके गुलाम ने उन्हें एक बहुत बड़ी सीख दी थी और उन्होंने उसे आजाद कर दिया।
*शिक्षा*:-
मित्रों, मधुर वाणी एक वरदान है जो हमें लोकप्रिय बनाती है वहीँ कर्कश या तीखी बोली हमें अपयश दिलाती है और हमारी प्रतिष्ठा को कम करती है। आपकी वाणी कैसी है ? यदि वो तीखी है या सामान्य भी है तो उसे मीठा बनाने का प्रयास करिये। आपकी वाणी आपके व्यत्कित्व का प्रतिबिम्ब है, उसे अच्छा होना ही चाहिए।
*!! चिड़िया की ज्ञान की बातें !!*
*!! एकाग्रचित्त बनें !!*
एक आदमी को किसी ने सुझाव दिया कि दूर से पानी लाते हो, क्यों नहीं अपने घर के पास एक कुआं खोद लेते? हमेशा के लिए पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। सलाह मानकर उस आदमी ने कुआं खोदना शुरू किया। लेकिन सात-आठ फीट खोदने के बाद उसे पानी तो क्या, गीली मिट्टी का भी चिह्न नहीं मिला। उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुरू की। लेकिन दस फीट खोदने के बाद भी उसमें पानी नहीं निकला। उसने तीसरी जगह कुआं खोदा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। इस क्रम में उसने आठ-दस फीट के दस कुएं खोद डाले, पानी नहीं मिला। वह निराश होकर उस आदमी के पास गया, जिसने कुआं खोदने की सलाह दी थी।
उसे बताया कि मैंने दस कुएं खोद डाले, पानी एक में भी नहीं निकला। उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ। वह स्वयं चलकर उस स्थान पर आया, जहां उसने दस गड्ढे खोद रखे थे। उनकी गहराई देखकर वह समझ गया। बोला, ‘दस कुआं खोदने की बजाए एक कुएं में ही तुम अपना सारा परिश्रम और पुरूषार्थ लगाते तो पानी कब का मिल गया होता। तुम सब गड्ढों को बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ, पानी निकल आएगा।’
*शिक्षा:-*
कहने का मतलब यही कि आज की स्थिति यही है। आदमी हर काम फटाफट करना चाहता है। किसी के पास धैर्य नहीं है। इसी तरह पचासों योजनाएं एक साथ चलाता है और पूरी एक भी नहीं हो पाती।
🇮🇳!! *पत्थर की कीमत* !!🇮🇳
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एक हीरा व्यापारी था जो हीरे का बहुत बड़ा विशेषज्ञ माना जाता था, किन्तु गंभीर बीमारी के चलते अल्प आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। अपने पीछे वह अपनी पत्नी और बेटा छोड़ गया। जब बेटा बड़ा हुआ तो उसकी माँ ने कहा- “बेटा, मरने से पहले तुम्हारे पिताजी ये पत्थर छोड़ गए थे, तुम इसे लेकर बाज़ार जाओ और इसकी कीमत का पता लगा, ध्यान रहे कि तुम्हे केवल कीमत पता करनी है, इसे बेचना नहीं है।” युवक पत्थर लेकर निकला, सबसे पहले उसे एक सब्जी बेचने वाली महिला मिली।”
अम्मा, तुम इस पत्थर के बदले मुझे क्या दे सकती हो ?”, युवक ने पूछा। “देना ही है तो दो गाजरों के बदले मुझे ये दे दो… तौलने के काम आएगा।” सब्जी वाली बोली। युवक आगे बढ़ गया। इस बार वो एक दुकानदार के पास गया और उससे पत्थर की कीमत जानना चाही। दुकानदार बोला- “इसके बदले मैं अधिक से अधिक 500 रूपये दे सकता हूँ… देना हो तो दो नहीं तो आगे बढ़ जाओ।” युवक इस बार एक सुनार के पास गया।
सुनार ने पत्थर के बदले 20 हज़ार देने की बात की। फिर वह हीरे की एक प्रतिष्ठित दुकान पर गया वहां उसे पत्थर के बदले 1 लाख रूपये का प्रस्ताव मिला और अंत में युवक शहर के सबसे बड़े हीरा विशेषज्ञ के पास पहुंचा और बोला- “श्रीमान, कृपया इस पत्थर की कीमत बताने का कष्ट करें।” विशेषज्ञ ने ध्यान से पत्थर का निरीक्षण किया और आश्चर्य से युवक की तरफ देखते हुए बोला- “यह तो एक अमूल्य हीरा है, करोड़ों रूपये देकर भी ऐसा हीरा मिलना मुश्किल है।”
🇮🇳 *शिक्षा*:-
मित्रों, यदि हम गहराई से सोचें तो ऐसा ही मूल्यवान हमारा मानव जीवन भी है। यह अलग बात है कि हममें से बहुत से लोग इसकी कीमत नहीं जानते और सब्जी बेचने वाली महिला की तरह इसे मामूली समझा तुच्छ कामो में लगा देते हैं। आइये हम प्रार्थना करें कि ईश्वर हमें इस मूल्यवान जीवन को समझने की सद्बुद्धि दे और हम हीरे के विशेषज्ञ की तरह इस जीवन का मूल्य आंक सकें।
आखिरी उपदेश
गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों में आज काफी उत्साह था , उनकी बारह वर्षों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी और अब वो अपने घरों को लौट सकते थे . गुरु जी भी अपने शिष्यों की शिक्षा-दीक्षा से प्रसन्न थे और गुरुकुल की परंपरा के अनुसार शिष्यों को आखिरी उपदेश देने की तैयारी कर रहे थे।
उन्होंने ऊँची आवाज़ में कहा , ” आप सभी एक जगह एकत्रित हो जाएं , मुझे आपको आखिरी उपदेश देना है .”
गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए सभी शिष्य एक जगह एकत्रित हो गए .
गुरु जी ने अपने हाथ में कुछ लकड़ी के खिलौने पकडे हुए थे , उन्होंने शिष्यों को खिलौने दिखाते हुए कहा , ” आप को इन तीनो खिलौनों में अंतर ढूँढने हैं।
सभी शिष्य ध्यानपूर्वक खिलौनों को देखने लगे , तीनो लकड़ी से बने बिलकुल एक समान दिखने वाले गुड्डे थे . सभी चकित थे की भला इनमे क्या अंतर हो सकता है ?
तभी किसी ने कहा , ” अरे , ये देखो इस गुड्डे के में एक छेद है .”
यह संकेत काफी था ,जल्द ही शिष्यों ने पता लगा लिया और गुरु जी से बोले ,
” गुरु जी इन गुड्डों में बस इतना ही अंतर है कि –
एक के दोनों कान में छेद है
दूसरे के एक कान और एक मुंह में छेद है ,
और तीसरे के सिर्फ एक कान में छेद है “
गुरु जी बोले , ” बिलकुल सही , और उन्होंने धातु का एक पतला तार देते हुए उसे कान के छेद में डालने के लिए कहा .”
शिष्यों ने वैसा ही किया . तार पहले गुड्डे के एक कान से होता हुआ दूसरे कान से निकल गया , दूसरे गुड्डे के कान से होते हुए मुंह से निकल गया और तीसरे के कान में घुसा पर कहीं से निकल नहीं पाया .
तब गुरु जी ने शिष्यों से गुड्डे अपने हाथ में लेते हुए कहा , ” प्रिय शिष्यों , इन तीन गुड्डों की तरह ही आपके जीवन में तीन तरह के व्यक्ति आयेंगे .
पहला गुड्डा ऐसे व्यक्तियों को दर्शाता है जो आपकी बात एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देंगे ,आप ऐसे लोगों से कभी अपनी समस्या साझा ना करें .
दूसरा गुड्डा ऐसे लोगों को दर्शाता है जो आपकी बात सुनते हैं और उसे दूसरों के सामने जा कर बोलते हैं , इनसे बचें , और कभी अपनी महत्त्वपूर्ण बातें इन्हें ना बताएँ।
और तीसरा गुड्डा ऐसे लोगों का प्रतीक है जिनपर आप भरोसा कर सकते हैं , और उनसे किसी भी तरह का विचार – विमर्श कर सकते हैं , सलाह ले सकते हैं , यही वो लोग हैं जो आपकी ताकत है और इन्हें आपको कभी नहीं खोना चाहिए . “
एक बार एक आदमी रेगिस्तान में कहीं भटक गया। उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी-बहुत चीजें थीं वो जल्द ही ख़त्म हो गयीं और पिछले दो दिनों से वो पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा था। वह मन ही मन जान चुका था कि अगले कुछ घंटों में अगर उसे कहीं से पानी नहीं मिला तो उसकी मौत पक्की है। पर कहीं न कहें उसे ईश्वर पर यकीन था कि कुछ चमत्कार होगा और उसे पानी मिल जाएगा… तभी उसे एक झोपड़ी दिखाई दी! उसे अपनी आँखों यकीन नहीं हुआ।
पहले भी वह मृगतृष्णा और भ्रम के कारण धोखा खा चुका था…पर बेचारे के पास यकीन करने के आलावा को चारा भी तो न था! आखिर ये उसकी आखिरी उम्मीद जो थी! वह अपनी बची-खुची ताकत से झोपडी की तरफ रेंगने लगा…जैसे-जैसे करीब पहुँचता उसकी उम्मीद बढती जाती… और इस बार भाग्य भी उसके साथ था, सचमुच वहां एक झोपड़ी थी! पर ये क्या? झोपडी तो वीरान पड़ी थी! मानो सालों से कोई वहां भटका न हो।
फिर भी पानी की उम्मीद में आदमी झोपड़ी के अन्दर घुसा, अन्दर का नजारा देख उसे अपनी आँखों पे यकीन नहीं हुआ…वहां एक हैण्ड पंप लगा था, आदमी एक नई उर्जा से भर गया…पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसता वह तेजी से हैण्ड पंप चलाने लगा। लेकिंग हैण्ड पंप तो कब का सूख चुका था…आदमी निराश हो गया…उसे लगा कि अब उसे मरने से कोई नहीं बचा सकता…वह निढाल हो कर गिर पड़ा! तभी उसे झोपड़ी के छत से बंधी पानी से भरी एक बोतल दिखी! वह किसी तरह उसकी तरफ लपका!
वह उसे खोल कर पीने ही वाला था कि तभी उसे बोतल से चिपका एक कागज़ दिखा….उस पर लिखा था- इस पानी का प्रयोग हैण्ड पंप चलाने के लिए करो…और वापस बोतल भर कर रखना नहीं भूलना। ये एक अजीब सी स्थिति थी, आदमी को समझ नहीं आ रहा था कि वो पानी पिए या उसे हैण्ड पंप में डालकर उसे चालू करे! उसके मन में तमाम सवाल उठने लगे… अगर पानी डालने पे भी पंप नहीं चला….अगर यहाँ लिखी बात झूठी हुई…और क्या पता जमीन के नीचे का पानी भी सूख चुका हो।
लेकिन क्या पता पंप चल ही पड़े….क्या पता यहाँ लिखी बात सच हो…वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे! फिर कुछ सोचने के बाद उसने बोतल खोली और कांपते हाथों से पानी पंप में डालने लगा। पानी डालकर उसने भगवान् से प्रार्थना की और पंप चलाने लगा…एक-दो-तीन….और हैण्ड पंप से ठंडा-ठंडा पानी निकलने लगा! वो पानी किसी अमृत से कम नहीं था… आदमी ने जी भर के पानी पिया, उसकी जान में जान आ गयी, दिमाग काम करने लगा।
उसने बोतल में फिर से पानी भर दिया और उसे छत से बांध दिया। जब वो ऐसा कर रहा था तभी उसे अपने सामने एक और शीशे की बोतल दिखी। खोला तो उसमे एक पेंसिल और एक नक्शा पड़ा हुआ था जिसमे रेगिस्तान से निकलने का रास्ता था। आदमी ने रास्ता याद कर लिया और नक़्शे वाली बोतल को वापस वहीँ रख दया। इसके बाद वो अपनी बोतलों में पानी भर कर वहां से जाने लगा।
कुछ आगे बढ़ कर उसने एक बार पीछे मुड़ कर देखा…फिर कुछ सोच कर वापस उस झोपडी में गया और पानी से भरी बोतल पे चिपके कागज़ को उतार कर उस पर कुछ लिखने लगा। उसने लिखा- मेरा यकीन करिए…ये काम करता है!
*शिक्षा*:-
दोस्तों, ये कहानी Life के बारे में है। ये हमे सिखाती है कि बुरी से बुरी स्थिति में भी अपनी उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए और इस कहानी से ये भी शिक्षा मिलती है कि कुछ बहुत बड़ा पाने से पहले हमें अपनी ओर से भी कुछ देना होता है। जैसे उस आदमी ने नल चलाने के लिए मौजूद पूरा पानी उसमे डाल दिया। देखा जाए तो इस कहानी में पानी जीवन में मौजूद अच्छी चीजों को दर्शाता है।
कुछ ऐसी चीजें जिसकी हमारे नार में Value है। किसी के लिए ये ज्ञान हो सकता है तो किसी के लिए प्रेम तो किसी और के लिए पैसा! ये जो कुछ भी है उसे पाने के लिए पहले हमें अपनी तरफ से उसे कर्म रुपी हैण्ड पंप में डालना होता है और फिर बदले में आप अपने योगदान से कहीं अधिक मात्रा में उसे वापस पाते हैं।