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Thursday, August 20, 2020
Wednesday, August 19, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
*!! एकाग्रचित्त बनें !!*
एक आदमी को किसी ने सुझाव दिया कि दूर से पानी लाते हो, क्यों नहीं अपने घर के पास एक कुआं खोद लेते? हमेशा के लिए पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। सलाह मानकर उस आदमी ने कुआं खोदना शुरू किया। लेकिन सात-आठ फीट खोदने के बाद उसे पानी तो क्या, गीली मिट्टी का भी चिह्न नहीं मिला। उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुरू की। लेकिन दस फीट खोदने के बाद भी उसमें पानी नहीं निकला। उसने तीसरी जगह कुआं खोदा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। इस क्रम में उसने आठ-दस फीट के दस कुएं खोद डाले, पानी नहीं मिला। वह निराश होकर उस आदमी के पास गया, जिसने कुआं खोदने की सलाह दी थी।
उसे बताया कि मैंने दस कुएं खोद डाले, पानी एक में भी नहीं निकला। उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ। वह स्वयं चलकर उस स्थान पर आया, जहां उसने दस गड्ढे खोद रखे थे। उनकी गहराई देखकर वह समझ गया। बोला, ‘दस कुआं खोदने की बजाए एक कुएं में ही तुम अपना सारा परिश्रम और पुरूषार्थ लगाते तो पानी कब का मिल गया होता। तुम सब गड्ढों को बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ, पानी निकल आएगा।’
*शिक्षा:-*
कहने का मतलब यही कि आज की स्थिति यही है। आदमी हर काम फटाफट करना चाहता है। किसी के पास धैर्य नहीं है। इसी तरह पचासों योजनाएं एक साथ चलाता है और पूरी एक भी नहीं हो पाती।
Tuesday, August 18, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
🇮🇳!! *पत्थर की कीमत* !!🇮🇳
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एक हीरा व्यापारी था जो हीरे का बहुत बड़ा विशेषज्ञ माना जाता था, किन्तु गंभीर बीमारी के चलते अल्प आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। अपने पीछे वह अपनी पत्नी और बेटा छोड़ गया। जब बेटा बड़ा हुआ तो उसकी माँ ने कहा- “बेटा, मरने से पहले तुम्हारे पिताजी ये पत्थर छोड़ गए थे, तुम इसे लेकर बाज़ार जाओ और इसकी कीमत का पता लगा, ध्यान रहे कि तुम्हे केवल कीमत पता करनी है, इसे बेचना नहीं है।” युवक पत्थर लेकर निकला, सबसे पहले उसे एक सब्जी बेचने वाली महिला मिली।”
अम्मा, तुम इस पत्थर के बदले मुझे क्या दे सकती हो ?”, युवक ने पूछा। “देना ही है तो दो गाजरों के बदले मुझे ये दे दो… तौलने के काम आएगा।” सब्जी वाली बोली। युवक आगे बढ़ गया। इस बार वो एक दुकानदार के पास गया और उससे पत्थर की कीमत जानना चाही। दुकानदार बोला- “इसके बदले मैं अधिक से अधिक 500 रूपये दे सकता हूँ… देना हो तो दो नहीं तो आगे बढ़ जाओ।” युवक इस बार एक सुनार के पास गया।
सुनार ने पत्थर के बदले 20 हज़ार देने की बात की। फिर वह हीरे की एक प्रतिष्ठित दुकान पर गया वहां उसे पत्थर के बदले 1 लाख रूपये का प्रस्ताव मिला और अंत में युवक शहर के सबसे बड़े हीरा विशेषज्ञ के पास पहुंचा और बोला- “श्रीमान, कृपया इस पत्थर की कीमत बताने का कष्ट करें।” विशेषज्ञ ने ध्यान से पत्थर का निरीक्षण किया और आश्चर्य से युवक की तरफ देखते हुए बोला- “यह तो एक अमूल्य हीरा है, करोड़ों रूपये देकर भी ऐसा हीरा मिलना मुश्किल है।”
🇮🇳 *शिक्षा*:-
मित्रों, यदि हम गहराई से सोचें तो ऐसा ही मूल्यवान हमारा मानव जीवन भी है। यह अलग बात है कि हममें से बहुत से लोग इसकी कीमत नहीं जानते और सब्जी बेचने वाली महिला की तरह इसे मामूली समझा तुच्छ कामो में लगा देते हैं। आइये हम प्रार्थना करें कि ईश्वर हमें इस मूल्यवान जीवन को समझने की सद्बुद्धि दे और हम हीरे के विशेषज्ञ की तरह इस जीवन का मूल्य आंक सकें।
Wednesday, August 12, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
आखिरी उपदेश
गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों में आज काफी उत्साह था , उनकी बारह वर्षों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी और अब वो अपने घरों को लौट सकते थे . गुरु जी भी अपने शिष्यों की शिक्षा-दीक्षा से प्रसन्न थे और गुरुकुल की परंपरा के अनुसार शिष्यों को आखिरी उपदेश देने की तैयारी कर रहे थे।
उन्होंने ऊँची आवाज़ में कहा , ” आप सभी एक जगह एकत्रित हो जाएं , मुझे आपको आखिरी उपदेश देना है .”
गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए सभी शिष्य एक जगह एकत्रित हो गए .
गुरु जी ने अपने हाथ में कुछ लकड़ी के खिलौने पकडे हुए थे , उन्होंने शिष्यों को खिलौने दिखाते हुए कहा , ” आप को इन तीनो खिलौनों में अंतर ढूँढने हैं।
सभी शिष्य ध्यानपूर्वक खिलौनों को देखने लगे , तीनो लकड़ी से बने बिलकुल एक समान दिखने वाले गुड्डे थे . सभी चकित थे की भला इनमे क्या अंतर हो सकता है ?
तभी किसी ने कहा , ” अरे , ये देखो इस गुड्डे के में एक छेद है .”
यह संकेत काफी था ,जल्द ही शिष्यों ने पता लगा लिया और गुरु जी से बोले ,
” गुरु जी इन गुड्डों में बस इतना ही अंतर है कि –
एक के दोनों कान में छेद है
दूसरे के एक कान और एक मुंह में छेद है ,
और तीसरे के सिर्फ एक कान में छेद है “
गुरु जी बोले , ” बिलकुल सही , और उन्होंने धातु का एक पतला तार देते हुए उसे कान के छेद में डालने के लिए कहा .”
शिष्यों ने वैसा ही किया . तार पहले गुड्डे के एक कान से होता हुआ दूसरे कान से निकल गया , दूसरे गुड्डे के कान से होते हुए मुंह से निकल गया और तीसरे के कान में घुसा पर कहीं से निकल नहीं पाया .
तब गुरु जी ने शिष्यों से गुड्डे अपने हाथ में लेते हुए कहा , ” प्रिय शिष्यों , इन तीन गुड्डों की तरह ही आपके जीवन में तीन तरह के व्यक्ति आयेंगे .
पहला गुड्डा ऐसे व्यक्तियों को दर्शाता है जो आपकी बात एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देंगे ,आप ऐसे लोगों से कभी अपनी समस्या साझा ना करें .
दूसरा गुड्डा ऐसे लोगों को दर्शाता है जो आपकी बात सुनते हैं और उसे दूसरों के सामने जा कर बोलते हैं , इनसे बचें , और कभी अपनी महत्त्वपूर्ण बातें इन्हें ना बताएँ।
और तीसरा गुड्डा ऐसे लोगों का प्रतीक है जिनपर आप भरोसा कर सकते हैं , और उनसे किसी भी तरह का विचार – विमर्श कर सकते हैं , सलाह ले सकते हैं , यही वो लोग हैं जो आपकी ताकत है और इन्हें आपको कभी नहीं खोना चाहिए . “
Tuesday, August 11, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
Friday, August 7, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
एक बार एक आदमी रेगिस्तान में कहीं भटक गया। उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी-बहुत चीजें थीं वो जल्द ही ख़त्म हो गयीं और पिछले दो दिनों से वो पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा था। वह मन ही मन जान चुका था कि अगले कुछ घंटों में अगर उसे कहीं से पानी नहीं मिला तो उसकी मौत पक्की है। पर कहीं न कहें उसे ईश्वर पर यकीन था कि कुछ चमत्कार होगा और उसे पानी मिल जाएगा… तभी उसे एक झोपड़ी दिखाई दी! उसे अपनी आँखों यकीन नहीं हुआ।
पहले भी वह मृगतृष्णा और भ्रम के कारण धोखा खा चुका था…पर बेचारे के पास यकीन करने के आलावा को चारा भी तो न था! आखिर ये उसकी आखिरी उम्मीद जो थी! वह अपनी बची-खुची ताकत से झोपडी की तरफ रेंगने लगा…जैसे-जैसे करीब पहुँचता उसकी उम्मीद बढती जाती… और इस बार भाग्य भी उसके साथ था, सचमुच वहां एक झोपड़ी थी! पर ये क्या? झोपडी तो वीरान पड़ी थी! मानो सालों से कोई वहां भटका न हो।
फिर भी पानी की उम्मीद में आदमी झोपड़ी के अन्दर घुसा, अन्दर का नजारा देख उसे अपनी आँखों पे यकीन नहीं हुआ…वहां एक हैण्ड पंप लगा था, आदमी एक नई उर्जा से भर गया…पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसता वह तेजी से हैण्ड पंप चलाने लगा। लेकिंग हैण्ड पंप तो कब का सूख चुका था…आदमी निराश हो गया…उसे लगा कि अब उसे मरने से कोई नहीं बचा सकता…वह निढाल हो कर गिर पड़ा! तभी उसे झोपड़ी के छत से बंधी पानी से भरी एक बोतल दिखी! वह किसी तरह उसकी तरफ लपका!
वह उसे खोल कर पीने ही वाला था कि तभी उसे बोतल से चिपका एक कागज़ दिखा….उस पर लिखा था- इस पानी का प्रयोग हैण्ड पंप चलाने के लिए करो…और वापस बोतल भर कर रखना नहीं भूलना। ये एक अजीब सी स्थिति थी, आदमी को समझ नहीं आ रहा था कि वो पानी पिए या उसे हैण्ड पंप में डालकर उसे चालू करे! उसके मन में तमाम सवाल उठने लगे… अगर पानी डालने पे भी पंप नहीं चला….अगर यहाँ लिखी बात झूठी हुई…और क्या पता जमीन के नीचे का पानी भी सूख चुका हो।
लेकिन क्या पता पंप चल ही पड़े….क्या पता यहाँ लिखी बात सच हो…वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे! फिर कुछ सोचने के बाद उसने बोतल खोली और कांपते हाथों से पानी पंप में डालने लगा। पानी डालकर उसने भगवान् से प्रार्थना की और पंप चलाने लगा…एक-दो-तीन….और हैण्ड पंप से ठंडा-ठंडा पानी निकलने लगा! वो पानी किसी अमृत से कम नहीं था… आदमी ने जी भर के पानी पिया, उसकी जान में जान आ गयी, दिमाग काम करने लगा।
उसने बोतल में फिर से पानी भर दिया और उसे छत से बांध दिया। जब वो ऐसा कर रहा था तभी उसे अपने सामने एक और शीशे की बोतल दिखी। खोला तो उसमे एक पेंसिल और एक नक्शा पड़ा हुआ था जिसमे रेगिस्तान से निकलने का रास्ता था। आदमी ने रास्ता याद कर लिया और नक़्शे वाली बोतल को वापस वहीँ रख दया। इसके बाद वो अपनी बोतलों में पानी भर कर वहां से जाने लगा।
कुछ आगे बढ़ कर उसने एक बार पीछे मुड़ कर देखा…फिर कुछ सोच कर वापस उस झोपडी में गया और पानी से भरी बोतल पे चिपके कागज़ को उतार कर उस पर कुछ लिखने लगा। उसने लिखा- मेरा यकीन करिए…ये काम करता है!
*शिक्षा*:-
दोस्तों, ये कहानी Life के बारे में है। ये हमे सिखाती है कि बुरी से बुरी स्थिति में भी अपनी उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए और इस कहानी से ये भी शिक्षा मिलती है कि कुछ बहुत बड़ा पाने से पहले हमें अपनी ओर से भी कुछ देना होता है। जैसे उस आदमी ने नल चलाने के लिए मौजूद पूरा पानी उसमे डाल दिया। देखा जाए तो इस कहानी में पानी जीवन में मौजूद अच्छी चीजों को दर्शाता है।
कुछ ऐसी चीजें जिसकी हमारे नार में Value है। किसी के लिए ये ज्ञान हो सकता है तो किसी के लिए प्रेम तो किसी और के लिए पैसा! ये जो कुछ भी है उसे पाने के लिए पहले हमें अपनी तरफ से उसे कर्म रुपी हैण्ड पंप में डालना होता है और फिर बदले में आप अपने योगदान से कहीं अधिक मात्रा में उसे वापस पाते हैं।
Wednesday, July 29, 2020
*आज का प्ररेक प्रसंग *
धीरे-धीरे उस शिष्य की ख्याति भी बढ़ने लगी । और सभी लोग उसकी मिसाल देने लगे की शिष्य हो तो ऐसा । और इन सबसे संत बहुत खुश होते थे ।
एक दिन शिष्य ने संत से कहा कि में कुछ समय एकांत में भक्ति करना चाहता हूँ । तो संत ने कहा तुम यहाँ रह के भी भक्ति कर सकते हो और जैसा तुम उचित समझों ।
शिष्य ने गुरु से इजाजत ली और जंगल की और एकांत में निकल गया ।
ठीक दस साल बाद वह शिष्य अपने गुरु से वापस मिलने आया । सब को मालूम पड़ने पर भीड़ इक्क्ठा ही गयी । और शिष्य की खूब तारीफ हुई और वह शिष्य की चर्चा सभी जगह चल रही थी । संत भी अपने प्यारे शिष्य से मिलकर बहुत खुश थे ।
वो शिष्य ने कुछ अदभुत कारनामे भी करें तो वह प्रचलित हो गया । सब जगह शिष्य की चर्चा होने लगी । और दुर- दूर से लोग उससे मिलने आने लगे । इधर संत को चिंताए सताने लगी ।
एक दिन गुरु और सभी शिष्यों को पास ही एक गांव में जाना था। रास्ते में एक नदी पड़ती थीं । उस नदी को पार करने के लिए नाव से जाना पड़ता था । गुरु और सभी शिष्य नाव का इंतजार कर रहे थे । और गाँव के भी बहुत सारे लोग थे ।
उस शिष्य ने गुरु से कहा कि हम क्यों ना हम पानी पर चल कर नदी पार कर लें । इस पर गुरु ने कहा --पानी पर कैसे चल सकते है सब डूब जायेंगे ।
इतने में शिष्य पानी की और बढ़ा और पानी पर चलने लगा । और उसने सबको कहा कि तुम भी आ जाओ । पर किसी की हिम्मत नहीं हुई । शिष्य को पानी पर चलता देख कर सब हैरत में पड़ गए । और शिष्य की वाहवाही होने लगी । शिष्य ने पानी पर चलकर नदी पार कर ली । और गुरु और बाकी शिष्य ने नाव में बैठकर नदी को पार किया ।
सभी शिष्यों ने अपने गुरु की चिंता को पढ़ लिया था ।
जब वापस अपनी कुटिया में सब आ गये तो शिष्यों ने गुरु से कहा की आप के शिष्य ने आपका नाम रोशन कर दिया और आप खुश नजर नहीं आ रहें हैं ।
इतने में वह शिष्य भी वहाँ आ गया और बोला गुरूवर मुझसे कोई गलती हुई हो तो बताइये । गुरु ने कहा --नहीं कोई गलती नही हुई हैं ।
शिष्य बोला --या तो मेरी प्रसिद्धि से आपको कोई परेशानी हैं ,क्योंकि आपके चेहरे से साफ झलक रहा है, की आप परेशान हैं ।
संत ने कहा -- में बोलना नहीं चाहता था पर तुमने यह कहकर मुझे मजबूर कर दिया । संत ने शिष्य से कहा -तुमने जो पानी पर चलकर नदी पार करी तुम्हें बहुत महँगी पड़ी ।
शिष्य बोला कैसे -- मैंने तो नदी फ्री में पार कर ली और मुझे इज्जत भी मिली ।
गुरु ने हँस कर कहा-- जो चीज मात्र पाँच रुपये में पार की जा सकती थी ,उसके लिए तुमने अपने दस साल की भक्ति उस चीज में लगा दी । तुमने जरा सी सिद्धि के पीछे अभी तक के किये तप-त्याग को बर्बाद कर लिया । और अपनी भक्ति का सौदा कर लिया ,और ईश्वर के मिलन के सारे रास्ते बंद कर लिए ।
ये सुनकर शिष्य गुरु के चरणों में गिर पड़ा और दहाड़ मारकर रोने लगा । गुरु को उस पर दया आ गयी । उन्होंने उसे अपने पास रख लिया पर वो अपने जीवन का अमूल्य समय और तपस्या को खो चुका था ।
देखा दोस्तों जरा सी सिद्धि या महान बनने के लालच में उस शिष्य ने अपनी भक्ति को खत्म कर लिया ।
हमेशा अपने गुरु की कही बात पर चलो अपने मन से कुछ मत करो । क्योंकि की गुरु की कही बात पत्थर की लकीर है , उसे ईश्वर भी नहीं काटता ।
Sunday, July 26, 2020
*कारगिल विजय दिवस’ : 26 जुलाई1999*
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🇮🇳🇮🇳
भारतीय सेना के शौर्य का प्रतीक ‘कारगिल विजय दिवस’ 26 जुलाई को मनाया जाता हैं। इस साल 21वीं वर्षगांठ है। साल 1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों नेे अदम्य शौर्य और वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। कारगिल विजय दिवस केे मौके पर देेेशवासी मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।
कारगिल युद्ध को जम्मू-कश्मीर के कारगिल सेक्टर में लाइन ऑफ कंट्रोल के किनारे, 1999 के मई-जुलाई के दौरान लड़ा गया था। इस युद्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 3 हजार सैनिकों को मार गिराया था। यह युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था। कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना को कई बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तानी सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर थे जबकि हमारे सैनिकों को गहरी खाई में रहकर उनसे मुकाबला करना था।
भारतीय जवानों को आड़ लेकर या रात में चढ़ाई कर ऊपर पहुंचना पड़ रहा था, जोकि बहुत जोखिमपूर्ण था। लेकिन भारतीय सैनिकों ने हर चुनौती को स्वीकार किया। कारगिल युद्ध 60 दिनों तक चला और अंततः 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। भारत में युद्ध में विजय पताका फहराई और देश के स्वाभिमान के इस प्रतीक को ‘ऑपरेशन विजय’ नाम दिया गया। कारगिल विजय दिवस के इस खास मौके पर शहीदों को याद करते हुए ये मैसेज और कोट्स अपनों से शेयर करें और शहीदों को श्रद्धांजलि दें।
1. दुनिया करती जिसे सलाम,
वो है भारत का सैनिक महान,
रणभूमि में दुश्मन को जो चटाए धूल,
वो है भारत का जवान।
कारगिल विजय दिवस की बधाई
2. मैं हूं भारतीय सेना का वीर जवान,
कभी नहीं झुकने दूंगा भारत का मान,
तिरंगा है मेरी आन, बान शान,
कभी नहीं होने दूंगा भारत का अपमान।
कारगिल विजय दिवस की शुभकामनाएं
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Wednesday, July 22, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने पहुंचा और इस बार वही हुआ, किसान का हल पत्थर से टकराकर टूट गया. किसान क्रोधित हो उठा, और उसने निश्चय किया कि आज जो भी हो जाए वह इस चट्टान को ज़मीन से निकाल कर इस खेत के बाहर फ़ेंक देगा.
वह तुरंत गाँव से ४-५ लोगों को बुला लाया और सभी को लेकर वह उस पत्त्थर के पास पहुंचा और बोल, ” यह देखो ज़मीन से निकले चट्टान के इस हिस्से ने मेरा बहुत नुक्सान किया है, और आज हम सभी को मिलकर इसे आज उखाड़कर खेत के बाहर फ़ेंक देना है.” और ऐसा कहते ही वह फावड़े से पत्थर के किनार वार करने लगा, पर यह क्या ! अभी उसने एक-दो बार ही मारा था कि पूरा-का पूरा पत्थर ज़मीन से बाहर निकल आया. साथ खड़े लोग भी अचरज में पड़ गए और उन्ही में से एक ने हँसते हुए पूछा , “क्यों भाई , तुम तो कहते थे कि तुम्हारे खेत के बीच में एक बड़ी सी चट्टान दबी हुई है , पर ये तो एक मामूली सा पत्थर निकला ??”
किसान भी आश्चर्य में पड़ गया सालों से जिसे वह एक भारी-भरकम चट्टान समझ रहा था दरअसल वह बस एक छोटा सा पत्थर था ! उसे पछतावा हुआ कि काश उसने पहले ही इसे निकालने का प्रयास किया होता तो ना उसे इतना नुकसान उठाना पड़ता और ना ही दोस्तों के सामने उसका मज़ाक बनता .
हम भी कई बार ज़िन्दगी में आने वाली छोटी-छोटी बाधाओं को बहुत बड़ा समझ लेते हैं और उनसे निपटने की बजाय तकलीफ उठाते रहते हैं. ज़रुरत इस बातकी है कि हम बिना समय गंवाएं उन मुसीबतों से लडें , और जब हम ऐसा करेंगे तो कुछ ही समय में चट्टान सी दिखने वाली समस्या एक छोटे से पत्थर के समान दिखने लगेगी जिसे हम आसानी से हल पाकर आगे बढ़ सकते हैं.
Wednesday, July 15, 2020
Kendriya Vidyalaya IVRI CBSE X Result 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
Tuesday, July 14, 2020
Kendriya Vidyalaya IVRI XII Result 2020
Sunday, July 12, 2020
New Split up Syllabus 2020/21
https://drive.google.com/file/d/1sMdBvYv31fxbZ8oGy_z7rx0H-JWz3nF6/view?usp=drivesdk
Saturday, July 11, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
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एक व्यापारी जितना अमीर था उतना ही दान-पुण्य करने वाला, वह सदैव यज्ञ-पूजा आदि कराता रहता था।
एक बार उसे व्यापार में घाटा चला गया ।अब उसके पास परिवार चलाने लायक भी पैसे नहीं बचे थे।
व्यापारी की पत्नी ने सुझाव दिया कि पड़ोस के नगर में एक बड़े सेठ रहते हैं। वह दूसरों के पुण्य खरीदते हैं।
आप उनके पास जाइए और अपने कुछ पुण्य बेचकर थोड़े पैसे ले आइए, जिससे फिर से काम-धंधा शुरू हो सके।
पुण्य बेचने की व्यापारी की बिलकुल इच्छा नहीं थी, लेकिन पत्नी के दबाव और बच्चों की चिंता में वह पुण्य बेचने को तैयार हुआ। पत्नी ने रास्ते में खाने के लिए चार रोटियां बनाकर दे दीं।
व्यापारी चलता-चलता उस नगर के पास पहुंचा जहां पुण्य के खरीदार सेठ रहते थे। उसे भूख लगी थी।
नगर में प्रवेश करने से पहले उसने सोचा भोजन कर लिया जाए। उसने जैसे ही रोटियां निकालीं एक कुतिया तुरंत के जन्मे अपने तीन बच्चों के साथ आ खड़ी हुई।
कुतिया ने बच्चे जंगल में जन्म दिए थे। बारिश के दिन थे और बच्चे छोटे थे, इसलिए वह उन्हें छोड़कर नगर में नहीं जा सकती थी।
व्यापारी को दया आ गई। उसने एक रोटी कुतिया को खाने के लिए दे दिया।
कुतिया पलक झपकते रोटी चट कर गई लेकिन वह अब भी भूख से हांफ रही थी।
व्यापारी ने दूसरी रोटी, फिर तीसरी और फिर चारो रोटियां कुतिया को खिला दीं। खुद केवल पानी पीकर सेठ के पास पहुंचा।
व्यापारी ने सेठ से कहा कि वह अपना पुण्य बेचने आया है। सेठ व्यस्त था। उसने कहा कि शाम को आओ।
दोपहर में सेठ भोजन के लिए घर गया और उसने अपनी पत्नी को बताया कि एक व्यापारी अपने पुण्य बेचने आया है। उसका कौन सा पुण्य खरीदूं।
सेठ की पत्नी बहुत पतिव्रता और सिद्ध थी। उसने ध्यान लगाकर देख लिया कि आज व्यापारी ने कुतिया को रोटी खिलाई है।
उसने अपने पति से कहा कि उसका आज का पुण्य खरीदना जो उसने एक जानवर को रोटी खिलाकर कमाया है। वह उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ पुण्य है।
व्यापारी शाम को फिर अपना पुण्य बेचने आया। सेठ ने कहा- आज आपने जो यज्ञ किया है मैं उसका पुण्य लेना चाहता हूं।
व्यापारी हंसने लगा। उसने कहा कि अगर मेरे पास यज्ञ के लिए पैसे होते तो क्या मैं आपके पास पुण्य बेचने आता!
सेठ ने कहा कि आज आपने किसी भूखे जानवर को भोजन कराकर उसके और उसके बच्चों के प्राणों की रक्षा की है। मुझे वही पुण्य चाहिए।
व्यापारी वह पुण्य बेचने को तैयार हुआ। सेठ ने कहा कि उस पुण्य के बदले वह व्यापारी को चार रोटियों के वजन के बराबर हीरे-मोती देगा।
चार रोटियां बनाई गईं और उसे तराजू के एक पलड़े में रखा गया। दूसरे पलड़े में सेठ ने एक पोटली में भरकर हीरे-जवाहरात रखे।
पलड़ा हिला तक नहीं। दूसरी पोटली मंगाई गई। फिर भी पलड़ा नहीं हिला।
कई पोटलियों के रखने पर भी जब पलड़ा नहीं हिला तो व्यापारी ने कहा- सेठजी, मैंने विचार बदल दिया है. मैं अब पुण्य नहीं बेचना चाहता।
व्यापारी खाली हाथ अपने घर की ओर चल पड़ा। उसे डर हुआ कि कहीं घर में घुसते ही पत्नी के साथ कलह न शुरू हो जाए।
जहां उसने कुतिया को रोटियां डाली थी, वहां से कुछ कंकड़-पत्थर उठाए और साथ में रखकर गांठ बांध दी।
घर पहुंचने पर पत्नी ने पूछा कि पुण्य बेचकर कितने पैसे मिले तो उसने थैली दिखाई और कहा इसे भोजन के बाद रात को ही खोलेंगे। इसके बाद गांव में कुछ उधार मांगने चला गया।
इधर उसकी पत्नी ने जबसे थैली देखी थी उसे सब्र नहीं हो रहा था। पति के जाते ही उसने थैली खोली।
उसकी आंखे फटी रह गईं। थैली हीरे-जवाहरातों से भरी थी।
व्यापारी घर लौटा तो उसकी पत्नी ने पूछा कि पुण्यों का इतना अच्छा मोल किसने दिया ? इतने हीरे-जवाहरात कहां से आए ??
व्यापारी को अंदेशा हुआ कि पत्नी सारा भेद जानकर ताने तो नहीं मार रही लेकिन, उसके चेहरे की चमक से ऐसा लग नहीं रहा था।
व्यापारी ने कहा- दिखाओ कहां हैं हीरे-जवाहरात। पत्नी ने लाकर पोटली उसके सामने उलट दी। उसमें से बेशकीमती रत्न गिरे। व्यापारी हैरान रह गया।
फिर उसने पत्नी को सारी बात बता दी। पत्नी को पछतावा हुआ कि उसने अपने पति को विपत्ति में पुण्य बेचने को विवश किया।
दोनों ने तय किया कि वह इसमें से कुछ अंश निकालकर व्यापार शुरू करेंगे। व्यापार से प्राप्त धन को इसमें मिलाकर जनकल्याण में लगा देंगे।
ईश्वर आपकी परीक्षा लेता है। परीक्षा में वह सबसे ज्यादा आपके उसी गुण को परखता है जिस पर आपको गर्व हो।
अगर आप परीक्षा में खरे उतर जाते हैं तो ईश्वर वह गुण आपमें हमेशा के लिए वरदान स्वरूप दे देते हैं।
अगर परीक्षा में उतीर्ण न हुए तो ईश्वर उस गुण के लिए योग्य किसी अन्य व्यक्ति की तलाश में लग जाते हैं।
इसलिए विपत्तिकाल में भी भगवान पर भरोसा रखकर सही राह चलनी चाहिए। आपके कंकड़-पत्थर भी अनमोल रत्न हो सकते हैं।
Friday, July 10, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
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बहुत समय पहले की बात है , आइस्लैंड के उत्तरी छोर पर एक किसान रहता था . उसे अपने खेत में काम करने वालों की बड़ी ज़रुरत रहती थी लेकिन ऐसी खतरनाक जगह , जहाँ आये दिन आंधी –तूफ़ान आते रहते हों , कोई काम करने को तैयार नहीं होता था .
किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की ज़रुरत है . किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के बारे में सुनता , वो काम करने से मना कर देता . अंततः एक सामान्य कद का पतला -दुबला अधेड़ व्यक्ति किसान के पास पहुंचा .किसान ने उससे पूछा , “ क्या तुम इन परिस्थितयों में काम कर सकते हो ?”
“ ह्म्म्म , बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ .” व्यक्ति ने उत्तर दिया .
किसान को उसका उत्तर थोडा अजीब लगा लेकिन चूँकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल रहा था इसलिए उसने व्यक्ति को काम पर रख लिया.
मजदूर मेहनती निकला , वह सुबह से शाम तक खेतों में म्हणत करता , किसान भी उससे काफी संतुष्ट था .कुछ ही दिन बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने लगी , किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफ़ान आने वाला है . वह तेजी से उठा , हाथ में लालटेन ली और मजदूर के झोपड़े की तरफ दौड़ा .
जल्दी उठो , देखते नहीं तूफ़ान आने वाला है , इससे पहले की सबकुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बाँध कर ढक दो और बाड़े के गेट को भी रस्सियों से कास दो .” किसान चीखा .
मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला , “ नहीं जनाब , मैंने आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ !!!.”
यह सुन किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया , जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे , पर अभी वो आने वाले तूफ़ान से चीजों को बचाने के लिए भागा .
किसान खेत में पहुंचा और उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गयी , फसल की गांठें अच्छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से ढकी भी थी , उसके गाय -बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और मुर्गियां भी अपने दडबों में थीं … बाड़े का दरवाज़ा भी मजबूती से बंधा हुआ था . साड़ी चीजें बिलकुल व्यवस्थित थी …नुक्सान होने की कोई संभावना नहीं बची थी.किसान अब मजदूर की ये बात कि “ जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ ”…समझ चुका था , और अब वो भी चैन से सो सकता था .
मित्रों , हमारी ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसे तूफ़ान आने तय हैं , ज़रुरत इस बात की है कि हम उस मजदूर की तरह पहले से तैयारी कर के रखें ताकि मुसीबत आने पर हम भी चैन से सो सकें. जैसे कि यदि कोई विद्यार्थी शुरू से पढ़ाई करे तो परीक्षा के समय वह आराम से रह सकता है, हर महीने बचत करने वाला व्यक्ति पैसे की ज़रुरत पड़ने पर निश्चिंत रह सकता है, इत्यादि.
तो चलिए हम भी कुछ ऐसा करें कि कह सकें – ” जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ.”
Thursday, July 9, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
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इमरान ने बड़े उत्साह के साथ एक बिज़नेस की शुरुआत की, पर 5-6 महीने बाद किसी बड़े घाटे की वजह से उसे बिज़नेस बंद करना पड़ा। इस कारण से वह बहुत उदास रहने लगा। और काफी समय बीत जाने पर भी उसने कोई और काम नहीं शुरू किया। इमरान की इस परेशानी का पता प्रोफेसर कृष्णन को लगा, जो पहले कभी उसे पढ़ा चुके थे । “
उन्होंने एक दिन इमरान को अपने घर बुलाया और पूछा, ” क्या बात है आज-कल तुम बहुत परेशान रहते हो ?” “जी कुछ नहीं बस मैंने एक काम शुरू किया था पर मैं जैसा चाहता था वैसे रिजल्ट्स नहीं आये और मुझे काम बंद करना पड़ा, इसीलिए थोड़ा परेशान हूँ । “, इमरान बोला। प्रोफेसर बोले, ” ये तो होता ही रहता है, इसमें इतना मायूस होने की क्या बात है । “
”लेकिन मैंने इतनी कड़ी मेहनत की थी, मैं तन-मन-धन से इस काम में जुटा था, फिर मैं नाकामयाब कैसे हो सकता हूँ।” इमरान कुछ झुंझलाते हुए बोला। प्रोफेसर कुछ देर के लिए शांत हो गए, फिर कुछ सोच कर उन्होंने कहा, ” इमरान, मेरे पीछे आओ, “टमाटर के इस मरे हुए पौधे को देखो। “ ”ये तो बेकार हो चुका है , इसे देखने से क्या फायदा।“, इमरान बोला।
प्रोफेसर बोले, ”मैंने जब इसे बोया था तो हर एक वो चीज की जो इसके लिए सही हो। मैंने इसे समय-समय पर पानी दिया, खाद डाली, कीटनाशक का छिड़काव किया, पर फिर भी ये मृत हो गया।“ “तो क्या ?, इमरान बोला। प्रोफेसर ने समझाया, “चाहे तुम कितना भी प्रयास करो, पर अंततः क्या होता है तुम उसे तय नहीं कर सकते । बस तुम उन्ही चीजों पर कंट्रोल कर सकते हो जो तुम्हारे हाथ में हैं, और बाकी चीजों को तुम्हे भगवान पर छोड़ देना चाहिए। “,
“तो मैं क्या करूँ ? अगर कामयाबी की गारंटी नहीं है तो फिर प्रयास करने से क्या फायदा ?”, इमरान बोला। “इमरान, बहुत से लोग बस इसी एक्सक्यूज का सहारा लेकर अपनी लाइफ में कुछ बड़ा करने का प्रयास नहीं करते कि जब सफलता की स्योरटी ही नहीं है तो फिर ट्राई करने से क्या फायदा !”, प्रोफेसर बोले।
“हाँ, ठीक ही तो सोचते हैं लोग। इतनी मेहनत, इतना पैसा, इतना समय देने के बाद भी अगर सफलता चांस की ही बात है, तो इतना सब कुछ करने से क्या फायदा । “, इमरान बाहर निकलते हुए बोला। ” रुको-रुको, जाने से पहले जरा इस दरवाजे को खोलकर तो देखो। प्रोफेसर ने एक दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा। इमरान ने दरवाजा खोला, सामने बड़े -बड़े लाल टमाटरों का ढेर पड़ा हुआ था।
“ये कहाँ से आये ?” इमरान ने आश्चर्य से पूछा। “बेशक, टमाटर के सारे पौधे नहीं मरे थे । अगर तुम लगातार सही चीजें करते रहो, तो सक्सेस पाने के तुम्हारा चांस बहुत बढ़ जाता है । लेकिन अगर तुम एक -दो फेलियरस की वजह से हार मान कर बैठ जाओ तो तुम्हे लाइफ कोई भी रिवॉर्ड नहीं देती। “, प्रोफेसर ने अपनी बात पूरी की। इमरान अब सफलता का पाठ पढ़ चुका था, वह समझ गया कि उसे अब क्या करना है और वो एक नए जोश के साथ बाहर निकल पड़ा ।
शिक्षा ;-
दोस्तों, इमरान की तरह ही बहुत से लोग अपनी किसी एक असफलता को ही आगे प्रयास न करने की वजह बना लेते हैं। और ये सच है कि हम चाहे जितने भी प्रयास कर लें Final Outcome क्या होगा हम इस पर Control नहीं कर सकते, पर ये भी सच है कि जो लोग सफलता का स्वाद चखने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं उन्हें आज नहीं तो कल वो मिल ही जाती है। याद रखिये कि हर एक नाकामयाबी; कामयाबी की तरफ ही एक कदम होता है।
Wednesday, June 24, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
*चिल्लाओं मत!*
Wednesday, June 17, 2020
Tuesday, June 16, 2020
Monday, May 4, 2020
*आज का प्रेरक प्रसंग*
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एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक वृद्ध व्यक्ति अपनी बुद्धिमानी की वजह से गांव में बहुत प्रसिद्ध था। उसका एक बेटा था। गांव के लोग अपनी-अपनी परेशानियां लेकर उसके पास आते थे और वृद्ध उन्हें समस्याओं का सही निराकरण बता देता था। एक दिन वृद्ध को लगा कि उसका अंति समय करीब आ गया है तो उसने अपने बेटे को पास बुलाया और कहा कि मैं तुम्हें चार रत्न देना चाहता हूं, ये रत्न तुम्हें परेशानियां से बचाएंगे और तुम्हारा मन शांत रखेंगे। बेटे ने कहा कि ठीक है, आप मुझे ये रत्न दे दीजिए।
पिता ने कहा कि बेटा पहला रत्न है माफी। घर-परिवार या समाज में कोई कुछ भी कहे, तुम कभी भी किसी की बुरी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। कभी भी किसी से बदला लेने की भावना मत रखना। गलतियों के लिए लोगों को माफ कर देना। ये परिवार परिवार में जरूर ध्यान रखना।
पिता ने कहा कि दूसरा रत्न है बुरी बातों को और अपने द्वारा किए गए भलाई के कामों को, मदद को भूल जाना। जब भी दूसरों की भलाई करो, मदद करो तो उसे याद मत रखना। इसी तरह बुरी बातें जो दुख देती हैं, उन्हें भी भूल जाओ।
तीसरा रत्न है भगवान पर विश्वास हमेशा रखना। किसी भी काम में सफलता के लिए कड़ी मेहनत करना और भगवान के साथ ही खुद पर पूरा भरोसा रखना।
चौथा रत्न है वैराग्य की भावना। ध्यान रखना कि जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु अवश्य होगी। कोई भी व्यक्ति मृत्यु के बाद अपने साथ कुछ भी लेकर नहीं जा सकता। इसीलिए किसी भी वस्तु या सुख-सुविधा के प्रति मोह न रखना। हमेशा वैराग्य की भावना रखना।
*शिक्षा :-*
उपर्युक्त प्रसङ्ग से यह शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए कि हमें भी उस बूढ़े पिता के द्वारा बताए गए चारों अमूल्य रत्न रूपी बातों को अपनाना चाहियें। और यदि हम परेशानी और अशांति से बचना चाहते हैं, तो हमें दूसरों को तुरंत माफ कर देना चाहिए।