सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।– अब्दुल कलाम
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Monday, May 4, 2020

*आज का प्रेरक प्रसंग*

                      !! *वृद्ध पिता द्वारा दिये गए चार रत्न* !!
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एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक वृद्ध व्यक्ति अपनी बुद्धिमानी की वजह से गांव में बहुत प्रसिद्ध था। उसका एक बेटा था। गांव के लोग अपनी-अपनी परेशानियां लेकर उसके पास आते थे और वृद्ध उन्हें समस्याओं का सही निराकरण बता देता था। एक दिन वृद्ध को लगा कि उसका अंति समय करीब आ गया है तो उसने अपने बेटे को पास बुलाया और कहा कि मैं तुम्हें चार रत्न देना चाहता हूं, ये रत्न तुम्हें परेशानियां से बचाएंगे और तुम्हारा मन शांत रखेंगे। बेटे ने कहा कि ठीक है, आप मुझे ये रत्न दे दीजिए।

पिता ने कहा कि बेटा पहला रत्न है माफी। घर-परिवार या समाज में कोई कुछ भी कहे, तुम कभी भी किसी की बुरी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। कभी भी किसी से बदला लेने की भावना मत रखना। गलतियों के लिए लोगों को माफ कर देना। ये परिवार परिवार में जरूर ध्यान रखना।

पिता ने कहा कि दूसरा रत्न है बुरी बातों को और अपने द्वारा किए गए भलाई के कामों को, मदद को भूल जाना। जब भी दूसरों की भलाई करो, मदद करो तो उसे याद मत रखना। इसी तरह बुरी बातें जो दुख देती हैं, उन्हें भी भूल जाओ।

तीसरा रत्न है भगवान पर विश्वास हमेशा रखना। किसी भी काम में सफलता के लिए कड़ी मेहनत करना और भगवान के साथ ही खुद पर पूरा भरोसा रखना।

चौथा रत्न है वैराग्य की भावना। ध्यान रखना कि जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु अवश्य होगी। कोई भी व्यक्ति मृत्यु के बाद अपने साथ कुछ भी लेकर नहीं जा सकता। इसीलिए किसी भी वस्तु या सुख-सुविधा के प्रति मोह न रखना। हमेशा वैराग्य की भावना रखना।

*शिक्षा :-*
उपर्युक्त प्रसङ्ग से यह शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए कि हमें भी उस बूढ़े पिता के द्वारा बताए गए चारों अमूल्य रत्न रूपी बातों को अपनाना चाहियें। और यदि हम परेशानी और अशांति से बचना चाहते हैं, तो हमें दूसरों को तुरंत माफ कर देना चाहिए।

Friday, May 1, 2020

*अंतराष्ट्रीय मजदूर दिवस*

हर साल 1 मई को दुनिया भर में " अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस", श्रम दिवस या मई दिवस (International Labour Day) मनाया जाता है। इसे पहली बार 1 मई 1886 को मनाया गया था। भारत में इसे सबसे पहले 1 मई 1923 को मनाया गया था। जब लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने चेन्नई में इसकी शुरुआत की थी। इसका मुख्य उद्देश्य मजदूरों को सम्मान और हक दिलाना है। इस मौके पर फैज अहमद ‘फैज’ की रचना को याद किया जाता हैं, जिसमें उन्होंने मजदूरों के हक की बात की है।
हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्‍सा मांगेंगे,
इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे।
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास
1 मई 1886 को अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत एक क्रांति के रूप में हुई थी। जब हजारों की संख्या में मजदूर सड़क पर आ गए। ये मजदूर लगातार 10-15 घंटे काम कराए जाने के खिलाफ थे। उनका कहना था कि उनका शोषण किया जा रहा है। इस भीड़ पर तत्कालीन सरकार ने गोली चलवा दी थी, जिसमें सैकड़ों मजदूरों की मौत हो गई थी। इस घटना से दुनिया स्तब्ध हो गई थी। इसके बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक हुई। इस बैठक में यह घोषणा की गई हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा और इस दिन मजदूरों को छुट्टी दी जाएगी। साथ ही काम करने की अवधि केवल 8 घंटे होगी। इसके बाद से हर साल 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है।
भारत में मजदूर दिवस
भारत में इसे पहली बार 1 मई 1923 को मनाया गया था। इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता कामरेड “सिंगरावेलू चेट्यार” ने की थी। जब उनकी अध्यक्षता में मद्रास हाईकोर्ट के सामने मजदूर दिवस मनाया गया। उस समय से हर साल देशभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है।